इलाहाबाद हाईकोर्ट व लखनऊ बेंच में सरकारी वकीलों की नियुक्ति क्षमता का आंकलन कर होगी
– हाईकोर्ट में एडवोकेट जनरल ने किया वादा, सरकार सरकारी वकीलों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही करेगी
प्रयागराज, 15 जुलाई। उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता अजय मिश्र ने सरकार द्वारा दाखिल एक विशेष अपील पर बहस करते हुए कोर्ट को आश्वासन दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट व इसकी लखनऊ बेंच में सरकारी वकीलों की नियुक्तियां प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब राज्य व अन्य बनाम बृजेश्वर सिंह चहल व अन्य के केस में प्रतिपादित सिद्धांतों के अनुसार करेगी।
महाधिवक्ता ने यह आश्वासन एकल जज के आदेश के खिलाफ दाखिल सरकार की विशेष अपील पर बहस करते हुए दिया। सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर एकल जज के 31 मई 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहां गया था की सरकार व अन्य लोकल बॉडी में केसों की पैरवी के लिए अच्छे वकीलों की नियुक्ति की जाए तथा सरकार इसे कैबिनेट के सामने प्रस्तुत कर एक प्रभावी नीति बनाएं।
सरकार ने एकल जज के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि अवमानना के मामले में एकल जज द्वारा इस प्रकार का आदेश पारित करना अधिकारातीत है। बहस की गई थी कि अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट को इस प्रकार का आदेश करने का कोई अधिकार नहीं था।
चीफ जस्टिस राजेश बिंदल तथा जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सरकार की विशेष अपील मंजूर कर ली है तथा एकल जज के आदेश में दिए गए उस भाग को रद्द कर दिया जिसमें सरकार के खिलाफ इस प्रकार का आदेश पारित किया गया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट तथा इसकी लखनऊ बेंच में सरकारी वकीलों के प्रत्येक पदों पर उनकी नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के पंजाब राज्य व अन्य बनाम बृजेश्वर सिंह चहल व अन्य तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट के महेंद्र सिंह पवार केस में पारित निर्देशों का पालन करते हुए सरकार नियुक्तियां करेंगी।
चीफ जस्टिस की बेंच ने महाधिवक्ता के इस आश्वासन को आदेश में उल्लेख करते हुए सरकार द्वारा दाखिल अपील को स्वीकार कर लिया है तथा एकल जज द्वारा पारित आपत्तिजनक पैराग्राफ को रद्द कर दिया है।