कैथल:फर्जी प्रमाण पत्र बनाने की आरोपी पूर्व सिविल सर्जन की जमानत याचिका खारिज
पति-पत्नी की गिरफ्तारी का रास्ता साफ
कैथल, 18 नवंबर। यहां के एक डॉक्टर दंपत्ति द्वारा आठ साल पहले जजों के फर्जी साइन कर गलत टीएडीए क्लेम करने के मामले में कैथल की पूर्व डिप्टी सिविल सर्जन डॉक्टर नीलम कक्कड़ की अग्रिम जमानत याचिका एडीजे संगीता राय सचदेव की कोर्ट ने खारिज कर दी है। एफआईआर और शिकायत के आधार पर कोर्ट के डीडीए सुरजीत आर्य और उनके सहयोगी वकील मनीष गीड़ा ने बताया कि वर्ष 2003 में दंपत्ति डॉक्टर की ट्रांसफर कैथल से गुरुग्राम हुई थी।
दोनों दंपत्ति डॉक्टरों द्वारा उस समय कैथल कोर्ट और गुहला की कोर्ट में केस से संबंधित गवाही दिखाते रहे और अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। इतना ही नहीं डॉक्टर दंपत्ति द्वारा कोर्ट के फर्जी अटेंडेंस सर्टिफिकेट बनाकर गलत तरीके से टीए डीए भी लिया द्वारा जबकि जिन कोर्टों का अटेंडेस सर्टिफिकेट दिया हुआ है उनको कोर्टों और 4 जजों ने अपने कार्यालय के पत्र द्वारा खुद लिख कर दिया है कि उपरोक्त दंपत्ति डॉक्टर उनकी कोर्ट में पेश नहीं हुए और ना ही हमारी कोर्ट में ऐसा कोई केस पेंडिंग है।
हैरान करने वाली बात यह है कि स्वयं जजों द्वारा लिखे गए पत्रों के बाद भी उक्त दंपत्ति पर आज तक कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। दिसंबर 2020 में जैसे ही इसकी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल को लगी तो उसने उसी समय आरटीआई के तहत दस्तावेज इक्कठे किए और इसकी शिकायत कैथल के सेशन कोर्ट व पुलिस अधीक्षक कैथल तथा सीएम विंडो पर थी।
शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इस शिकायत को आगामी कार्रवाई के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा को भेज दिया था। वहीं दूसरी तरफ कैथल पुलिस द्वारा कोई आज तक कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी और शिकायत निराधार मानते हुए दफ्तर दाखिल कर दिया गया था। उसके बाद जयपाल ने डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज करवाने व उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करवाने के लिए कैथल न्यायालय में एक घारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत याचिका दायर की जिसमें न्यायालय ने जयपाल की शिकायत को सही मानते हुए संबंधित थाने को दोनों डॉक्टरों के खिलाफ जजों के फर्जी साइन करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए।
सिविल लाइन थाने में इस मामले की जांच चल रही थी पुलिस दंपति डॉक्टर द्वारा साइन किए गए फर्जी अटेंड सर्टिफिकेट को बरामद करने के लिए लगातार प्रयास करती रही। उसके बाद पिछले महीने में जैसे ही पुलिस को जजों के फर्जी साइन करने वाले अटेंड सर्टिफिकेट हाथ लगे तो पुलिस ने दंपत्ति डॉक्टर के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया जिसके बाद नीलम कक्कड़ ने अग्रिम जमानत लेने के लिए याचिका एडीजे संगीता राय सचदेव की कोर्ट में लगाई थी।
इस पर आज कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डॉक्टर नीलम कक्कड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी है। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि पुलिस अब जल्द ही दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। इस मामले में इकॉनोमिक सैल के पुलिस उप निरीक्षक महेन्द्र सिंह और निरीक्षक देवेन्द्र कुमार को भी आरोपी बनाया गया था।