रूस के साथ भारत के रक्षा संबंध उपयोगी- जयशंकर
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत के रूस के साथ पुराने संबंध हैं तथा देश की रक्षा आवश्यकताओं को रूस लम्बे समय से पूरा करता रहा है। दूसरी ओर पश्चिमी देशों ने भारत के पड़ोसी देश की सैनिक तानाशाही सत्ता को तरजीह दी।
अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत को सैनिक साजोसामान की आपूर्ति रूस से होती रही है। जब उनसे यह पूछा गया कि यूक्रेन संघर्ष के दौरान रूस के सैनिक उपकरणों की क्षमता पर उठाए जा रहे संदेहों को लेकर क्या भारत गौर करेगा। विदेश मंत्री ने कहा कि रक्षा अधिकारी हर युद्ध की परिस्थितियों पर गौर करते हैं।
यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में उन्होंने भारत के पुराने रूख को दोहराया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कथन का उल्लेख किया कि यह युद्ध का युग नहीं है।
विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश अपने मौजूदा हितों और दूरगामी हितों का मूल्यांकन करता है। यूक्रेन संघर्ष के बारे में उन्होंने कहा कि हर सैन्य संघर्ष से हमें कुछ सबक मिलता है तथा सैन्य विशेषज्ञ इसका अध्य्यन करेंगे।
विदेश मंत्री ने अपने आस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ हिन्द-प्रशांत क्षेत्र, क्वाड, विचार-विमर्श मंच और जी20 के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत-आस्ट्रेलिया दोनों नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विश्वास रखते हैं। साथ ही वे अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में बाधारहित आवागमन, सुरक्षा और संपर्क सुविधाओं पर भी जोर देते हैं।
कनाडा और अन्य देशों में खालिस्तानी गुटों की गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने कनाडा के विदेश मंत्री से बातचीत की है। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि लोकतांत्रिक देशों में स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग नहीं होने देना चाहिए। हिंसा और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों को लोकतांत्रिक देशों में मिले अधिकारों का दुरुपयोग करने की छूट नहीं होनी चाहिए।