पशुपालन, मत्स्यपालन की प्रगति में वैज्ञानिकों का अहम योगदान : तोमर
नई दिल्ली, 09 जून केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पशुपालन, मत्स्यपालन की प्रगति में वैज्ञानिकों का अहम योगदान रहा है। देश के वैज्ञानिकों ने हमेशा राष्ट्र गौरव बढ़ाने का काम किया है। तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार की ओर से विकसित चार प्रौद्योगिकियों का गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से विमोचन करते हुए कहा कि देश में खेती के साथ ही पशुपालन एवं मत्स्यपालन जैसी सम्बद्ध गतिविधियों की प्रगति में हमारे किसानों और सरकार की किसान हितैषी नीतियों के अलावा वैज्ञानिकों का अहम योगदान रहा है।
तोमर ने अश्व अनुसंधान केंद्र की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान ने अश्व व कुछ अन्य पशुओं के संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए 06 टीके एवं 19 निदान प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। जिनमें से चार आज लांच की गई है। इसके लिए तोमर ने सभी को शुभकामनाएं दी।
एन्कोवेक्स वैक्सीन
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार ने एन्कोवेक्स वैक्सीन विकसित की है। इससे सार्स कोरोना वायरस-2 (कोविड-19) से पालतू जानवर (कुत्ते, बिल्लियां), जो मानव आबादी के साथ रहते हैं उनको कोविड से बचाएगा। यह वैक्सीन पूर्णतः सुरक्षित है, जानवरों में कोविड 19 विषाणु रोकने की प्रतिरोधी क्षमता प्रदान करती है।
कैन कोव-2 एलिसा किट
इस केन्द्र ने कुत्तों में सार्स कोव-2 एंटीबॉडी पता लगाने के लिए कैन कोव-2 एलिसा किट विकसित की है। वर्तमान में कुत्तों में सार्स कोव-2 संक्रमण पता लगाने के लिए कोई अन्य किट उपलब्ध नहीं है। अतः यह किट कुत्ते में सार्स कोव-2 संक्रमण पता लगाने में उपयोगी साबित होगी।
एलिसा किट
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार ने एलिसा किट विकसित किया है। यह किट पशुओं में होने वाले सर्रा रोग का पता लगाने में सहायक है। सर्रा प्रायः सभी पशुधन प्रजातियां जैसे घोड़ा, ऊंट, गाय, भैंस, सूअर इत्यादि के रक्त में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण प्रोटोजोआ रोग है। यह रोग पालतू एवं जगंली जानवरों, जैसे- कुत्ते, बिल्ली, हिरण, चीता इत्यादि में भी पाया जाता है। सर्रा का समय पर निदान व इलाज बहुत महत्वपूर्ण है ताकि इस बीमारी के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सके। केंद्र ने सर्रा रोग के सभी पशुओं के संक्रमण के निदान के लिए एलिसा किट विकसित की है। यह किट वर्तमान में उपलब्ध अन्य नैदानिक किट से तुलनात्मक रूप में बहुत सस्ता है।
माइक्रोसेटेलाइट मार्कर
अपने अश्वों का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने के लिए मालिकों से पितृत्व विश्लेषण की लगातार मांग की जाती है। वर्तमान में देश में मातृत्व/पितृत्व सत्यापन के लिए कोई प्रमाणिक विधि उपलब्ध नहीं थी, जिसका समाधान करने के लिए केंद्र ने माइक्रोसेटेलाइट मार्कर आधारित अश्वों में मातृत्व/पितृत्व सत्यापन के लिए सुविधा विकसित की है। किट परीक्षण 300 से अधिक अश्वों पर किया, जिसके परिणाम सही पाए गए हैं।