हरियाणा

पीएम एफएमई में ज्यादा से ज्यादा आवेदन कर लाभ उठाए – अतिरिक्त उपायुक्त शर्मा

– सरकार द्वारा स्वयं रोजगार के लिए बहुत ही अच्छी स्कीम है

सोनीपत, 22 अगस्त। अतिरिक्त उपायुक्त शांतनू शर्मा ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार की भागीदारी में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी एवं कारोबार सहायता देने के लिए अखिल भारतीय आधार पर पीएम एफएमई (प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना) शुरू की है। अतिरिक्त उपायुक्त एफपीओ / स्वयं सहायता समूहों/सहकारिताओं, कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर एवं विपणन तथा ब्रांडिंग के समर्थन के लिए बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सभी स्वयं सहायता समुहों से सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के लिए ज्यादा से ज्यादा आवेदन करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्वयं रोजगार के लिए बहुत ही अच्छी स्कीम है जिसका फायदा उठाएं।

अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि इस योजना में एक जिला एक उत्पाद दृष्टिकोण के तहत इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं का लाभ लेने तथा उत्पादों के विपणन के लाभों को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। राज्य मौजूदा समूहों और कच्ची सामग्री को ध्यान में रखते हुए एक जिले के लिए खाद्य उत्पाद निर्धारित करेंगे। एक जिला एक उत्पाद दृष्टिïकोण (ओडीओपी) उत्पाद शीघ्र सडऩे-गलने वाली उपज पर आधारित, अनाज आधारित उत्पाद या व्यापक रूप से जिले और उनके सहयोगी क्षेत्रों में उत्पादित खाद्य उत्पाद हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना में आम, आलू, लीची, टमाटर, साबूदाना, किन्नू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, मोटे अनाज आधारित उत्पाद, मत्स्यिकी, पॉल्ट्री, मांस तथा पशुचारा आदि शामिल है। ओडीओपी दृष्टिकोण के तहत उत्पादन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत अन्य उत्पादों का उत्पादन करने वाले उद्यमों का भी समर्थन दिया जाएगा। ओडीओपी दृष्टिकोण के तहत उत्पादों के लिए सामान्य बुनियादी ढांचे और ब्रांडिंग और विपणन के लिए समर्थन दिया जाएगा।

श्री शर्मा ने कहा कि अपने उद्यम का उन्नयन करने के इच्छुक सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना प्रोजेक्ट लागत के 35 प्रतिशत पर क्रेडिट- लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं, अधिकतम सब्सिडी 10 लाख रुपए प्रति उद्यम तक हो सकती हैं। इसके अलावा यह योजना 35 क्रेडिट-लिंक्ड अनुदान सहित संपूर्ण मूल्य श्रृंखला समेत पूंजी निवेश हेतु एफपीओ / स्वयं सहायता समूहों / उत्पादक सहकारिताओं को सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि वर्किंग कैपिटल तथा छोटे औजारों की खरीद के लिए खाद्य प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य को 40,000/-रुपए की दर से प्रारंभिक पूँजी प्रदान की जाएगी। अनुदान के रूप में प्रारंभिक पूँजी एसएचजी फेडरेशन के स्तर पर दी जाएगी जो एसएचजी के माध्यम से ऋण के रूप में सदस्यों को दी जाएगी। 

अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि एफपीओ/एसएचजी/सहकारिताओं, राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों और निजी उद्यमियों को सामान्य प्रसंस्करण सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग और इन्क्यूबेशन केंद्र समेत इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 35 प्रतिशत की दर से क्रेडिट-लिंक्ड अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि सांझा पैकेजिंग और ब्रांडिंग विकसित करने, गुणवत् ता नियंत्रण, मानकीकरण का विकास करने तथा उपभोक्ता फुटकर बिक्री के लिए फूड सेफ्टी पैरामीटरों का पालन करने के लिए ओडीओपी दृष्टिकोण अपनाते हुए योजना के अंतर्गत एफपीओ/एसएचजी/सहकारिताओं अथवा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों एसपीवी को ब्रांडिंग और बिक्री सहायता दी जाएगी। 

अतिरिक्त उपायुक्त  कि योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के इच्छुक मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटें एफएमई पोर्टल पर आवेदन कर सकती हैं। क्षेत्र स्तरीय सहायता के लिए नियोजित जिला रिसोर्स पर्सन डीपीआर तैयार करने, बैंक ऋण प्राप्त करने, आवश्यक पंजीकरण तथा एफएसएसएआई के खाद्य मानकों, उद्योग आधार एवं जीएसटी प्राप्त करने के लिए हैंड-होल्डिंग सहायता उपलब्ध कराएंगे। योजना के तहत सरकार द्वारा अनुदान ऋणदाता बैंक में लाभार्थी के खाते में जमा किया जाएगा। यदि ऋण की अंतिम किश्त के संवितरण से 3 वर्ष की अवधि के पश्चात लाभार्थी अगर नियमित ऋण व ब्याज चुका रहा है और उद्यम ढंग से काम कर रहा हो तो यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में समायोजित की जाएगी। ऋण में अनुदान राशि के लिए बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। 

इस दौरान बैठक में कपील मित्तल सहायक निदेशक एमएसएमई, रूपेश एमएसएमई, अजय कुमार डीपीएम एचएसआरसीएम तथा एमएसएमई मुख्यालय से अन्य स्टाफ सहित स्वयं सहायता समुहों के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 

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