नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के नाम पर पैन-इंडिया फर्जी घोटाला नेटवर्क चलाने वाले जालसाज रवि चंद्र को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपित कंसल्टेंसी फर्म खोल फर्जी भर्ती घोटाला नेटवर्क चला रहा था। पुलिस के हत्थे चढ़ा यह आरोपित पहले भी ऐसे दो मामलों में दबोचा गया है। इसके पहले वह हैदराबाद मेट्रो और वायु सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर 50 लोगों से ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में 2018 में 14 मई को ओएनजीसी के चीफ मैनेजर (एचआर) तिलक राज शर्मा ने पीएस वसंत कुंज नार्थ थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने यह शिकायत दी थी कि बेरोजगार युवाओं को ओएनजीसी में सहायक अभियंता के रूप में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा जा रहा है। मामला दर्ज करने के बाद आगे की जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई। एसीपी अभिनेद्र जैन की देखरेख में जांच के दौरान यह पता चला कि पीड़ितों को ओएनजीसी के नाम पर ई-मेल भेजा गया था और उनका एक सरकारी कार्यालय में साक्षात्कार भी कराया गया था। पीड़ितों को रणधीर सिंह उर्फ कुणाल किशोर नाम के एक व्यक्ति से मिलवाया गया, जिसने ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के बदले पीड़ितों से 22 लाख रुपये लिए थे, लेकिन बाद में उसने अपने संपर्क नंबर बंद कर दिए।
हालांकि जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने वर्ष-2018 में 13 सितम्बर को 7 आरोपितों किशोर कुणाल, वसीम, अंकित गुप्ता, विशाल गोयल, सुमन सौरभ, संदीप कुमार और जगदीश राज को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन मुख्य आरोपित रवि चंद्र फरार चल रहा था। वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने ठिकाने बदल रहा था। उसे तकनीकी जांच के जरिये लोकेशन के आधार पर हैदराबाद से पकड़ा गया। पुलिस उससे गहन पूछताछ कर रही है। पूछताछ में उसने खुलासा किया है कि 2017 में वह हैदराबाद में टीम वेब 3 के नाम से एक कंसल्टेंसी ऑफिस चला रहा था। मई, 2017 में उसके एक पूर्व छात्र बाला ने रणधीर सिंह को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसके मंत्रालय में संपर्क हैं। पीड़ित टी. जीवा रतनम निवासी हैदराबाद और बी. संपत निवासी हैदराबाद रवि चंद्र के परामर्श कार्यालय में रणधीर सिंह से मिले, जहां रवि चंद्र और रणधीर ने पीड़ितों से कहा कि वे उन्हें मंत्रालय कोटा के माध्यम से नौकरी दिला सकते हैं। पीड़ितों ने आरोपित रणधीर सिंह (असल नाम कुणाल किशोर) को रविचंद्र के कार्यालय में 7 लाख रुपये दिए।
रवि चंद्र हैदराबाद में एक कंसल्टेंसी फर्म चलाता था। वह ऐसे लोगों को झांसे में लेकर उन्हें ठगता था जो सरकारी नौकरी के इच्छुक होते थे। वहीं आरोपित कुणाल किशोर उर्फ रणधीर दावा करता था कि उसका साला ओएनजीसी का कर्मचारी है और ओएनजीसी में उसका अच्छा प्रभाव है। वह लोगों से शिक्षा प्रमाण पत्र और पैसे एकत्र कर अपने सहयोगी वसीम की मदद से फर्जी इंटरव्यू कॉल लेटर तैयार करवाता था, जो एक विशेषज्ञ वेब डिजाइनर है। वसीम ने कुणाल किशोर के लिए फर्जी वोटर कार्ड भी तैयार किए, जिन्होंने फर्जी आईडी कार्ड में बताई गई पहचान मान ली थी। फिर उन्होंने ओएनजीसी के नकली ईमेल खातों के माध्यम से साक्षात्कार पुष्टिकरण ईमेल भेजे। ये ईमेल विशाल गोयल की मदद से बनाए गए थे जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उन्होंने गिरोह के लिए एक ईमेल स्पूफिंग सिस्टम तैयार किया है।
उसने पीड़ितों को बुलाने के लिए सरकारी एजेंसियों के लैंड लाइन नंबर भी खराब कर दिए। पीड़ितों को इंटरव्यू कॉल लेटर देने के बाद आरोपित कुणाल किशोर पीड़ितों को उस जगह ले गया, जहां उनके सहयोगी जगदीश राज जो किसी ऐसे सरकारी कर्मचारी के कार्यालय की व्यवस्था करता था जो छुट्टी पर होता था और उसके अन्य सहयोगी संदीप कुमार ने पीड़ितों और कुणाल किशोर के अन्य सहयोगियों यानी सुमन सौरभ और अंकित गुप्ता को ओएनजीसी के कर्मचारियों के रूप में बताकर उम्मीदवारों का एक नकली साक्षात्कार आयोजित कराया था। इस तरह से कई लोगों को ठगा गया था। हालांकि पुलिस ने सात लोगों को तो गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन रवि फरार चल रहा था।