ईश्वर शरण में प्री पीएचडी कोर्स का हुआ शुभारम्भ
प्रयागराज, 11 नवम्बर। ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग की ओर से शुक्रवार को महाविद्यालय में प्री पीएचडी कोर्स का शुभारम्भ किया गया। प्रो अनामिका रॉय ने शोधार्थियों को शोध प्रक्रिया में निष्पक्ष रहते हुए तार्किक दृष्टिकोण अपनाने के लिए निर्देशित किया।
मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्षा प्रो अनामिका रॉय ने बताया कि शोध कालिदास के अधूरे काव्य को पूर्ण करना है। शोध शेक्सपियर के अधूरे नाटकों का पूर्ण इतिवृत्त है, जिसमें समीचीनता, विज्ञान, नैतिकता, आत्मिकता तथा सत्य की प्रतिस्थापना है। इसके अतिरिक्त उन्होंने शोध की मौलिकता के महत्व को रेखांकित करते हुए आगामी शोध कार्य के लिए शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रो. आनन्द शंकर सिंह ने किया। उन्होंने भारतीय इतिहास लेखन में व्याप्त विभिन्न पूर्वाग्रहों एवं विसंगतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए पश्चिम के अंधानुकरण के प्रति सचेत किया तथा शोधार्थियों को इस संदर्भ में शोध के लिए प्रेरित किया। कहा कि भारत को समझने हेतु भू-सांस्कृतिक अवधारणा की अन्तर्दृष्टि की गहन मीमांसा की आवश्यकता है। भारत मात्र भू-राजनैतिक अवधारणा नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक अवधारणा की भाव संज्ञा का नाम भारत है।
उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण यूरोप में जब 27 हजार शिक्षण संस्थान थे, समकालीन भारत में डेढ़ लाख गुरुकुल अध्ययन एवं अध्यापन की विशिष्ट परम्परा को निरंतरता प्रदान कर रहे थे। प्राचार्य के अनुसार कल्हड़ की राजतरंगिणी इतिहास लेखन की सर्वोत्तम कसौटी है। वामपंथी इतिहासकारों ने मीरा को विद्रोही स्वरूप में प्रस्तुत करके नारी स्वतंत्रता की असंगत व्याख्या प्रस्तुत की है।
इसके पूर्व उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर डॉ मान सिंह, प्राध्यापक डॉ मनोज कुमार दुबे सहित कई शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे। संचालन डॉ रागिनी राय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ कृष्णा सिंह ने किया।