राष्ट्रीय

विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति ने दिया संदेश, ‘देश पर गर्व करें और जीवन में सकारात्मक रहें’

नई दिल्ली, 08 अगस्त। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि हम सभी को देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करना चाहिए और जीवन के प्रति सकारात्मक रुख बनाए रखना चाहिए। देश के सामने चुनौतियां हैं लेकिन हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे देश का मान सम्मान कम हो।

उपराष्ट्रपति के सम्मान में आज संसद पुस्तकालय भवन के जी.एम.सी. बालयोगी सभागार में विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी मंच पर उपस्थित रहे और उन्होंने उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की प्रशंसा की।

नायडू ने अपने व्यक्तिगत जीवन का भी संक्षिप्त विवरण दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि एक साधारण से कार्यकर्ता से एक दिन वह अपनी पार्टी के नेतृत्वकर्ता बने। यह सब धैर्य और मेहनत के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है जिसमें गांव के किसान का बेटा भी देश का उपराष्ट्रपति बन सकता है।”

उपराष्ट्रपति ने अपने विदाई समारोह में भारत की सांस्कृतिक परंपरा जीवन मूल्य और देश के लगातार बढ़ रहे गौरव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश बदलाव से गुजर रहा है और दुनिया भर में भारत का मान बढ़ रहा है। ऐसे में दुनिया के कई देशों को भारत से ईर्ष्या भी हो रही है और वह दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको भारत के इस प्रगति पर गर्व करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के सामने गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक भेदभाव एक बड़ी चुनौती बनी हुई है लेकिन हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। जनता का हित ही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। देश की अनेकता में एकता हमेशा कायम रहनी चाहिए।

उन्होंने जनप्रतिनिधियों से धैर्य रखने का आग्रह किया और कहा कि जनता के फैसले को स्वीकार करते हुए उन्हें अधिक मेहनत करनी चाहिए और दोबारा जनता के बीच जाना चाहिए। संसद सदस्यों को परामर्श देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें चाहिए कि वे संसद में निरंतर उपस्थित रहें, चर्चा में भाग लें और अधिक से अधिक अध्ययन करें। उन्हें चाहिए कि वे सदन में हुई पिछली चर्चाओं को पढ़ें और उस दौरान बड़े नेताओं के किए गए भाषणों का अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि जब हम दूसरों को समझेंगे तभी हम में अपनी बात दूसरों को समझाने में आसानी होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker