डाॅ रिषभ केडिया ने बताये मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के कई फायदे
प्रयागराज, 30 अक्टूबर। मिनिमल इनवेसिव सर्जरी उसे कहते हैं जिसमें शरीर पर बिना ज्यादा बड़ा घाव किए सर्जरी कर दी जाती है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी करने पर शरीर से खून का रिसाव कम होता है साथ ही ब्लड इंफेक्शन होने का खतरा भी नहीं रहता है। इस सर्जरी को करने पर मरीज को ऊपर से ब्लड चढ़ाने की भी जरूरत नहीं होती है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी को लेप्रोस्कोपी कीहोल सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है।
यह बाते मेदान्ता मेडिसीटी के वरिष्ठ सर्जन डाॅ रिषभ केडिया ने इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन में रविवार को वैज्ञानिक संगोष्ठी में चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का मतलब होता है न्यूनतम चीरा सर्जरी। इस सर्जरी में न्यूनतम चीरा लगाकर सर्जरी की जाती है और यह चीरा भी बहुत छोटे होल होते हैं, जिनके द्वारा कुछ तकनीकों का इस्तेमाल करके ऑपरेशन किया जाता है। लेप्रोस्कोपी यंत्र द्वारा अंजाम दी गई सर्जरी को मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कहते हैं।
उन्होंने बताया कि लेप्रोस्कोपी यंत्र की मदद से पेट के अंदर की जांच की जाती है, जिसमें पेट पर एक छोटा सा चीरा लगाकर इस यंत्र को अंदर डाला जाता है जिस पर कैमरा लगा होता है। इस कैमरे की मदद से पेट के अंदर की स्थिति को स्क्रीन पर देखा जाता है। लेप्रोस्कोपी का प्रयोग करके अपेंडिक्स, अग्नाशय, छोटी आंत और बड़ी आंत, पित्ताशय, पेट और प्रजनन अंग की जांच की जाती है।
–मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कैसे की जाती है
इस तकनीक में कुछ औजारों की मदद से शरीर में कम काट-छांट के साथ सिर्फ कुछ होल करके मरीज की तकलीफ को दूर किया जाता है। इस सर्जरी में सिर्फ 2 या 3 मिलीमीटर से सेंटीमीटर का चीरा लगाया जाता है इसलिए घाव जल्दी भर जाता है और दिखाई भी नहीं देता है। मरीज के शरीर पर जिस हिस्से या अंग की सर्जरी की जानी है उसके आसपास कुछ कट लगाकर ही इस सर्जरी को आसानी से पूरा किया जाता है।
इसमें नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जाता है। सर्जरी में एक परिष्कृत कैमरे का उपयोग किया जाता है जिसके द्वारा सर्जरी को अंजाम दिया जाता है। इस सर्जरी में लचीले ट्यूब जो कि लेप्रोस्कोपी या फिर एंडोस्कोप हो सकते हैं, छोटे कीहोल और विशेष उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं।
–मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के फायदे
किसी भी ओपन सर्जरी की बजाय मिनिमली इनवेसिव सर्जरी करवाना ज्यादा फायदेमंद रहता है। इससे छोटे चीरे-मिनिमली इनवेसिव सर्जरी में शरीर को कम घाव दिए जाते हैं। जो होल किए जाते हैं वह भी 2 से 3 मिलीमीटर से सेंटीमीटर के ही होते हैं जिन्हें भरने में ज्यादा समय नहीं लगता है। शरीर की चीरफाड़ अधिक नहीं होती है, इसलिए शरीर को संक्रमण का खतरा भी कम होता है और दर्द भी कम होता है। यह ओपन सर्जरी नहीं होती है बल्कि कुछ होल के साथ इस सर्जरी को किया जाता है। इस सर्जरी में मरीज बहुत जल्दी अपनी सामान्य गतिविधियों में आ जाता है। जहां सामान्य सर्जरी में मरीज को एक हफ्ते से 10 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है इसमें सिर्फ 1 से 2 दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज मिल जाता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता एएमए अध्यक्ष डाॅ सुबोध जैन ने की तथा संचालन एएमए सचिव डाॅ आशुतोष गुप्ता ने किया। चेयरपर्सन डाॅ जी.एस सिन्हा और डाॅ एन.एन गोपाल सहित कई चिकित्सक उपस्थित थे।