दान हमेशा जरूरतमंद लोगों को ही करना चाहिए : गुप्तिसागर महाराज
गुप्ति सागर धाम में उपाध्याय 108 गुप्तिसागर महाराज से आशीर्वाद लेते श्रद्धालूगण।
गन्नौर। जी टी रोड स्थित गुप्ति सागर धाम में उपाध्याय 108 गुप्तिसागर महाराज ने प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए कहा कि त्याग का अर्थ भोग एवं परिग्रहों का त्याग है। त्याग करने वाला अपने पास संचित वस्तु, पदार्थ, ज्ञान का कुछ अंश दूसरों को दान में करने के साथ लोभ, मोह आदि विकारों का त्याग करे। दान हमेशा जरूरतमंद लोगों को ही करना चाहिए। त्याग शब्द का अर्थ है देना या छोड़ना। त्यागी में प्रत्यक्ष रूप से दूसरों को देने की भावना निहित है। त्याग से करुणा का विस्तार होता है। त्याग के पालन से व्यक्ति के जीवन में संतोष एवं शांति का पोषण होता है। दया एवं सेवा की भावना का विकास होता है। त्याग का अहंकार नहीं करें, बल्कि अहंकार का त्याग करें। त्याग के बिना हमारा जीवन अधूरा है। त्याग एक ओर जहां हमें परिग्रह से मुक्ति दिलाता है तो दूसरी ओर हमें शांति और सुकून का अनुभव भी कराता है। महाराज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आय का कुछ न कुछ हिस्सा अवश्य दान करना चाहिए। दान देकर कभी भी पछतावा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि त्याग का विरोधी भाव वस्तुओं का संग्रह तथा लोभ एवं मोह के कारण परिग्रहों के प्रति आसक्ति है। त्याग के पालन से आत्मदृष्टि का विकास होता है।