गांव मोई स्थित ऐतिहासिक तीर्थ बाबा जिंदा के मेले में पहले दिन श्रद्धालुओं ने माथा टेक मन्नत मांगी
मेले में पूजा अर्चना के दौरान ज्योत प्रज्जवलित करते श्रद्धालू व बाबा जिन्दा में लगी भक्तों की भीड़।
गन्नौर। गांव मोई- माजरी स्थित ऐतिहासिक तीर्थ बाबा जिंदा के मेले में पहले दिन द्वादश को श्रद्धालुओं बाबा जिंदा की समाधि पर माथा टेककर अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की। मठ के संचालक महंत बाबा बालकनाथ ने बताया कि चौदस को आज शनिवार को मुख्य मेला लगेगा। क्योंकि द्वादस के बाद अब की बार चौदस है। शुक्रवार को बाबा जिदा पर लगे मेले में खिलौनों और मिठाइयों के स्टालों पर बच्चों व महिलाओं ने जमकर खरीदारी की, वहीं बच्चों ने झूलों का भी आनंद लिया। मेले में पुख्ता पुलिस व्यवस्था होने से श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। डेरा के संचालक महंत बाबा बालकनाथ ने श्रद्धालुओं को उनके घर में सुख-शांति के लिए प्रसाद देकर आशीर्वाद दिया।
मुख्य मेले में शनिवार को आज लगेगा रक्तदान शिविर
– बाबा जिन्दा पर दादा जसपाल सेवा समिति द्वारा विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी समिति के प्रधान अमित राणा ने दी। उन्होंने बताया कि शिविर में खानपुर पीजीआई के चिकित्सकों की टीम अपनी सेवाएं देगी। मेले में करीब 150 यूनिट रक्तदान की उम्मीद है।
बाबा जिन्दा की पौराणिक कथा
डेरे के महंत बाबा बालकनाथ ने अनुसार करीब चार सौ वर्ष पहले घूमते हुए बाबा मस्तनाथ यहां से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने यहां पर एक चरवाहे को पशु चराते देखा। उन्होंने चरवाहे से कहा कि मुझे खीर खानी है, तुम मेरे लिए खीर बनाओ। इस पर चरवाहे ने बाबा से कहा कि महाराज इनमें से तो कोई भी भैंस दूध नहीं देती तो भला खीर कैसे बनेगी। तभी बाबा ने उन्हें आदेश दिया कि जाओ किसी भी भैंस के नीचे बैठकर दूध निकाल लो। बाबा का आदेश पाकर चरवाहे ने एक भैंस का दूध निकाला और बाबा के लिए खीर बनाई। चरवाहे ने बाबा के चमत्कार से प्रभावित होकर संन्यास लेने का मन बना लिया और उन्होंने बाबा से आग्रह किया कि उन्हें भी अपनी शरण में ले लें। तब बाबा मस्तनाथ ने उसे आशीर्वाद दिया कि समय आने पर तुम जमीन के अंदर समाधि लोगे और लोग यहां आकर मत्था टेकेंगे। उसके बाद एक दिन उस चरवाहे ने इस स्थान पर अपनी भाभी के साथ समाधि ली।