उत्तर प्रदेश

इविवि में पाॅच दिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

प्रयागराज, 28 नवम्बर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभागार में सोमवार को पांच दिवसीय संक्षिप्त अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, गृह मंत्रालय नई दिल्ली से विषय विशेषज्ञ मुरारी लाल गुप्ता और जे. तिर्की ने केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो की कार्य संस्कृति, कार्य योजना और कार्य प्रणाली के बारे में अपनी बातें रखीं।

केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो नई दिल्ली और राजभाषा अनुभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कला संकाय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. एचएस उपाध्याय ने अनुवाद की व्यवहारिक जटिलताओं को कई उदाहरणों से समझाया। कहा कि अनुवाद एक कला है। उसे समझे जाने की जरूरत है। उन्होंने मातृभाषा और स्वदेशी को अपनाए जाने पर जोर दिया। भारतीय भाषाओं में कार्य किए जाने की जरूरत को बताया।

संस्थान के निदेशक एवं राजभाषा अनुभाग के संयोजक प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि अनुवाद का प्रशिक्षण परिवेश, जीवन और संस्कृति को नजदीक से जानने का अवसर उपलब्ध कराता है। कार्यालयी कार्य संस्कृति में अनुवाद की भूमिका बड़ी हो जाती है। उन्होंने कहा इलाहाबाद नगर भाषा संबंधी संवैधानिक उपबंध में समूह क के अंतर्गत आता है, इसलिए कार्यालयीन कार्य संस्कृति में हिंदी को अपनाया जाना चाहिए। इसमें हिंदी अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। अनुवाद हमारे ज्ञान का विस्तार करता है।

अध्यक्षीय वक्तव्य में उर्दू विभाग की अध्यक्ष प्रो. शबनम हमीद ने कार्य व्यवहार में अनुवाद की भूमिका को बताया। कहा कि अनुवाद करने के लिए अनूदित भाषा में उतरना जरूरी होता है। अनुवाद तो होना ही चाहिए लेकिन हिंदी में कार्य को व्यवहार में लाना होगा। कार्यक्रम का संचालन अनुवाद अधिकारी हरिओम कुमार और धन्यवाद ज्ञापन पोस्ट डॉक्टोरल फेलो धीरेंद्र प्रताप सिंह ने किया।

इविवि की जनसम्पर्क अधिकारी डाॅ जया कपूर ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला पहली बार प्रयागराज में आयोजित हो रही है। जिसमें प्रयागराज स्थित केंद्र सरकार के अनेक कार्यालयों के कर्मचारी भाग ले रहे हैं। विषय विशेषज्ञों ने इस तरह के अन्य कार्यक्रमों में आगे भी प्रतिभाग करने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, प्रयागराज के दो दर्जन से अधिक कार्मिक उपस्थित थे। आयोजन के प्रथम सत्र में संस्थान के सहायक आचार्य डॉ.सुरेंद्र कुमार, शोधार्थी राहुल कुमार, सृष्टि, श्वेता, करन आदि भी उपस्थित रहे।

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