राष्ट्रीय

रक्षामंत्री राजनाथ ने देश के सबसे दक्षिणी छोर पर इंदिरा पॉइंट का दौरा किया

नई दिल्ली, 06 जनवरी। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की अपनी दो दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को देश के सबसे दक्षिणी सिरे पर इंदिरा पॉइंट का दौरा किया। उनके साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह भी थे। राजनाथ सिंह ने रक्षा तैयारियों का जायजा लिया और सैनिकों के साथ बातचीत में उन्हें क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अंडमान और निकोबार कमांड (एएनसी) की दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को पोर्ट ब्लेयर पहुंचे। यात्रा के पहले दिन उन्होंने कमांड की रक्षा तैयारियों, कमांड के परिचालन क्षेत्रों तथा बाहरी इकाइयों में अवसंरचना के विकास की समीक्षा की। यात्रा के अंतिम दिन रक्षामंत्री ने देश के सबसे दक्षिणी सिरे पर इंदिरा पॉइंट का दौरा किया। इंदिरा पॉइंट को ‘सिक्स डिग्री चैनल’ भी कहा जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय यातायात के लिए एक प्रमुख शिपिंग लेन है। यहां भारतीय सशस्त्र बलों की मजबूत उपस्थिति भारत को इस क्षेत्र में सुरक्षा प्रदाता के रूप में अपनी जिम्मेदारी का बेहतर निर्वहन करने का एहसास कराती है।

रास्ते में रक्षामंत्री कार निकोबार द्वीप और कैंपबेल बे में रुके, जहां उन्हें जमीनी हालात के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने वहां अंडमान और निकोबार कमांड की संयुक्त सेना के सैनिकों के साथ भी बातचीत की और बहादुरी एवं प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा करने के लिए उनकी सराहना की। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कार निकोबार द्वीप के भारतीय वायु सेना स्टेशन पर सुरक्षा कर्मियों के साथ बातचीत की। रक्षामंत्री अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी समूह के इलाके से परिचित थे। उन्होंने आईएनएस बाज का भी दौरा किया और सैनिकों के साथ बातचीत की।

रक्षामंत्री की जनवरी, 2019 के बाद से इंदिरा पॉइंट की यह पहली यात्रा है। इंडो-पैसिफिक से इन दूर-दराज के द्वीपों की निकटता को देखते हुए रणनीतिक संकेतों के अलावा रक्षामंत्री की अंडमान और निकोबार कमांड की यात्रा ने दूरस्थ द्वीप पर तैनात सैनिकों को प्रेरित किया। अंडमान और निकोबार कमान 21 साल पुराना सफल इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड है, जिसकी योजना अब राष्ट्रीय स्तर पर बनाई जा रही है। 2001 में अपनी स्थापना के बाद से अंडमान और निकोबार कमांड ने अपनी परिचालन क्षमताओं में काफी वृद्धि की है।

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