राष्ट्रीय

मप्र विधानसभाः विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव खारिज, मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर साधा निधाना

भोपाल, 22 दिसंबर। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य विपक्ष पार्टी द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। मुख्यमंत्री के जवाब के बाद सदन में अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत के आधार पर खारिज हो गया। इस दौरान कांग्रेस में जमकर हंगामा किया, जिसके चलते विधानसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को कांग्रेस द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर देर रात तक चर्चा हुई। इसके बाद बुधवार को सुबह 11.00 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई, जिसमें मुख्यमंत्री चौहान ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर अपना जवाब पेश करते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने विपक्ष के आरोपों की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि ऐसा लचर अविश्वास प्रस्ताव मैंने तो देखा ही नहीं है। अगर अविश्वास की बात करें तो कांग्रेस में कौन, किस पर विश्वास करता है, समझ में ही नहीं आता है।

उन्होंने कहा कि हम पर आरोप लगाए जाते हैं कि हमने सरकार गिराई। 11 दिसंबर 2020 को मतगणना का दिन था। रात के 2:00 बजे तक हमने चुनाव परिणाम देखें और जो परिणाम आए उसमें हमारी 109 सीटें थी कांग्रेस की 114 सीटें थी। रात में मैं निश्चय करके सोया था कि सुबह ही मैं इस्तीफा दे दूंगा। यदि कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए कार्य किया होता, तो उनकी ही सरकार के मंत्री उन्हें छोड़कर हमारे साथ न आते। हमारे पास आए साथियों का फैसला सही था और जनता ने उन्हें उपचुनाव में भारी बहुमत से फिर से निर्वाचित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ सरकार में 165 दिन में 450 आईएएस और आईपीएस के ट्रांसफर किए। 15 हजार से ज्यादा तबादले किए गए। वल्लभ भवन दलालों का अड्डा बन गया था। तत्काली मुख्यमंत्री के ओएसडी का जो वीडियो वायरल हुआ, उसके कारण भ्रष्टाचार की विष बेल ऐसी फैली कि पूरे मध्यप्रदेश में त्राहि-त्राहि मच गई। मैं बताना चाहता हूं कि एक नहीं, कई मामले हैं। सिंचाई परियोजना में घोटाला किया गया। विधायकों को मिलने के लिए समय नहीं दिया जाता था। विधायकों से कहते थे चलो-चलो…। कोई बड़ा ठेकेदार आ जाए, तो उसे बैठाते थे। मुख्यमंत्री के भाषण पर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि आप अविश्वास प्रस्ताव लाए, आरोप लगाए, अब मुख्यमंत्री के जवाब तो सुन लीजिए। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सज्जन सिंह वर्मा से कहा कि विपक्ष के विधायकों को नियंत्रित करें। सदन के नेता को बोलने का मौका दें।

मुख्यमंत्री चौहान ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायकों द्वारा लगाए गए एक-एक आरोप का जवाब सदन में दिया। उन्होंने पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार पर कई जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने भाजपा के विधायकों, नेताओं से बदले की भावना से नियम विरुद्ध जाकर कार्रवाई करने की कोशिश की। संपत्तियों को नेस्तनाबूद करने का कुचक्र रचा, कई दुकानें तोड़ी गईं। हमने राजनीतिक विद्वेष में कभी कोई कार्रवाई नहीं की।

उन्होंने कहा कि प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए गुंडे, माफिया, बदमाशों पर कार्रवाई की, उनकी अवैध संपत्तियों को तोड़ा। लेकिन कांग्रेस सरकार ने भाजपा को निशाना बनाया था। जब तक कांग्रेस की सरकार थी बैगा, सहरिया, भारिया सहित अन्य जनजातीय समुदाय के पात्र हितग्राहियों के खातों में राशि नहीं पहुंची थी। कांग्रेस ने जनजातीय समुदाय के साथ भी धोखा किया। गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई संबल योजना से लाखों गरीबों के नाम कांग्रेस की सरकार ने काट दिए। हमने बच्चों को लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी, कांग्रेस सरकार ने लैपटॉप बांटना भी बंद कर दिया।

उन्होंने कहा कि हर घर तक नल से पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन योजना शुरुआत की, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने यह योजना शुरू ही नहीं की। प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब परिवारों के लिए आवास योजना शुरू की, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने मकानों के प्रस्ताव भी लौटा दिए और राज्य के अंश की राशि भी कम कर दी, जिससे लाखों गरीब परिवारों के मकान का सपना टूटा। यदि कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए कार्य किया होता, तो उनकी ही सरकार के मंत्री उन्हें छोड़कर हमारे साथ ना आते। हमारे पास आए साथियों का फैसला सही था और जनता ने उन्हें उपचुनाव में भारी बहुमत से फिर से निर्वाचित किया।

मुख्यमंत्री के जवाब के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई और प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। इसके बाद विपक्ष ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

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