मतांतरित अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण पर लगे रोक : विहिप
लखनऊ, 21 अक्टूबर। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने मतांतरित अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण पर रोक लगाने की मांग की है।
विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने शुक्रवार को विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मतांतरित जनजातियां दोहरे लाभ ले रही हैं। वे जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण के अलावा अल्पसंख्यक आधार पर भी सुविधाएं प्राप्त करती हैं। उन्होंने बताया कि जनजातीय आरक्षण का 80 प्रतिशत लाभ 18 प्रतिशत मतांतरित जनजाति उठा रही हैं और 82 प्रतिशत वास्तविक जनजाति केवल 20 प्रतिशत लाभ ही ले पा रही है।
विहिप के प्रवक्ता ने बताया कि ईसाई मिशनरी व मौलवी जो अपने पंथ में सामाजिक समानता का दावा करते हैं इस मांग को 1936 से लगातार बड़ी प्रबलता के साथ उठाते हुए सामाजिक समानता के अपने दावे को स्वयं ही बार-बार ध्वस्त करते रहे हैं। ईसाई मिशनरी इस अनुचित मांग के लिए सड़क और संसद के अलावा न्यायपालिका में भी सक्रिय रहे हैं, परन्तु न्यायपालिका ने उनकी मांग को ठुकरा दिया।
विजय शंकर तिवारी ने 30.09.1985 के एक मामले का जिक्र करते हुए बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि संविधान आदेश 1950 और इसमें किये गये संशोधन संविधान सम्मत हैं। हिन्दू, सिख व बौद्ध अनुसूचित जाति के अलावा किसी को भी यह आरक्षण नहीं दिया जा सकता। 2004 में भी सर्वोच्च न्यायालय में सीपीआईएल एवं अन्य के द्वारा दायर की गयी ऐसी ही एक याचिका जो अभी तक लंबित है, के संदर्भ में केन्द्र सरकार ने स्पष्ट कहा था कि इस्लाम और ईसाई मतों में मतांतरित अनुसूचित जाति को आरक्षण की मांग न्याय संगत नहीं है।
विहिप प्रवक्ता ने कहा कि मतांतरित लोगों को अगर आरक्षण की सुविधा दी गयी तो अनुसूचित समाज जिसके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है वे उससे पूर्ण रूप से वंचित हो जाएंगे। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद की पत्रिका हिन्दू विश्व के दीपावली विशेषांक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्तीय अध्यक्ष कन्हैया लाल नगीना, विहिप के प्रान्त मंत्री देवेन्द्र और विहिप के प्रान्त संगठन मंत्री राजेश प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।