उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी मामले में अब 26 मई को होगी सुनवाई, कोर्ट ने एक हफ्ते में आपत्ति मांगी

वाराणसी, 24 मई । ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मंगलवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई और अदालत ने सभी पक्षों से सर्वे पर एक हफ्ते में आपत्ति मांगी हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मई को मुकदमे की पोषणीयता के मुद्दे पर होगी।

इस चर्चित मामले की सुनवाई को देखते हुए न्यायालय में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए थे। निर्धारित समय पर जिला न्यायालय में वादी और प्रतिवादी पक्ष के साथ कुल 32 लोगों को प्रवेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीते सोमवार को जिला जज की अदालत में इस प्रकरण में सुनवाई हुई थी। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी तरफ से दलीलें दी थी लेकिन न्यायालय ने कोई फैसला नहीं देते हुए आज मंगलवार तक के लिए सुनवाई टाल दी थी।

जिजा जज की अदालत में आज सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से दो बिन्दुओं को रखा गया। प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष चाहता था कि पहले सिविल प्रक्रिया आदेश 07, नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की जाए जबकि वादी पक्ष चाहता था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट और उस पर आयी आपत्तियों से जुड़े बिंदुओं पर सुनवाई हो। इसलिए अब इन बिंदुओं पर 26 मई को पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई होगी।

प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का कहना है कि यह मुकदमा सुनने योग्य ही नहीं है। दूसरी तरफ वादी पक्ष की महिलाओं के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि मामले को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता, यह चलता रहेगा। यह संपत्ति का नहीं बल्कि पूजा के अधिकार का मामला है। वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों को बताया कि दोनों पक्षों से रिपोर्ट पर आपत्ति भी मंगाई है जिसके लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है।

पुलिस कमिश्नर ने लिया सुरक्षा व्यवस्था का जायजा

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में संवेदनशीलता को देखते हुए जिला प्रशासन न्यायालय परिसर के सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क रहा। मुकदमे की सुनवाई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश फोर्स के साथ पहुंचे। उन्होंने न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के बाद पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया। सुनवाई को देखते हुए अपरान्ह दो बजे से कोर्ट रूम खाली करा दिया गया। सुनवाई के दौरान वहां पर केवल जिला जज और दोनों पक्षों के वकील वादी और प्रतिवादी ही रहे।

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