राष्ट्रीय

राजद्रोह के मामले में लगने वाली धारा 124ए की वैधता को चुनौती वाली याचिका पर 10 मई को होगी सुनवाई

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह के मामले में लगने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 मई को सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले वो इस बात पर विचार करेगा कि मामला संविधान बेंच को सौंपा जाए या नहीं। कोर्ट ने सभी पक्षों से 7 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

केंद्र सरकार ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक हफ्ते का समय और मांगा था। 15 जुलाई, 2021 को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या आजादी के 75 साल बाद भी राजद्रोह जैसे क़ानून की ज़रूरत है। चीफ जस्टिस ने कहा था कि कभी महात्मा गांधी, तिलक जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज़ को दबाने के लिए ब्रिटिश सत्ता इस क़ानून का इस्तेमाल करती थी। क्या आजादी के 75 साल बाद भी राजद्रोह कानून की जरूरत है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था कि राजद्रोह में दोषी साबित होने वालों की संख्या बहुत कम है लेकिन अगर पुलिस या सरकार चाहे तो इसके जरिये किसी को भी फंसा सकती है। इन सब पर विचार करने की जरूरत है। याचिका सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल एस जी बोम्बतकरे ने दायर की है।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि राजद्रोह कानून वापस नहीं लिया जाना चाहिए। बल्कि कोर्ट चाहे तो नए सख्त दिशानिर्देश जारी कर सकता है ताकि राष्ट्रीय हित में ही इस कानून का इस्तेमाल हो।

उल्लेखनीय है कि 12 जुलाई, 2021 को राजद्रोह के कानून के खिलाफ मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेमचा और छत्तीसगढ़ के पत्रकार कन्हैयालाल शुक्ल की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील तनिमा किशोर ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए संविधान की धारा 19 का उल्लंघन करती है। यह धारा सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य के मामले में 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कानून की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन अब इसके साठ साल बीतने के बाद ये कानून आज संवैधानिक कसौटी पर पास नहीं होता है।

याचिका में कहा गया है कि भारत पूरे लोकतांत्रिक दुनिया में अपने को लोकतंत्र कहता है। ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, घाना, नाइजीरिया और युगांडा ने राजद्रोह को अलोकतांत्रिक करार दिया है। याचिका में कहा गया है कि दोनों याचिकाकर्ता एक मुखर और जिम्मेदार पत्रकार हैं। वे संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हैं। दोनों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कार्टून शेयर करने के लिए धारा 124ए के तहत राजद्रोह की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई हैं।

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