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उत्तराखंड : शोधकर्ताओं ने किफायती और अधिक कारगर सोलर सेल विकसित किए

हरिद्वार, 20 दिसंबर। उत्तराखंड के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की के शोधकर्ता उच्च गुणवत्ता के पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित करने में सफलता प्राप्त की है। यह शोध भौतिकी विभाग के प्रोफेसर सौमित्र सतपथी के मार्गदर्शन में किया गया है।

इस प्रोटोटाइप में 17.05 प्रतिशत पावर कन्वर्जन की क्षमता देखी गई, जो क्वाजी दो आयामी (2डी) पेरोवस्काइट के लिए दर्ज सर्वाधिक पीसीई में से एक है। संशोधित पेरोवस्काइट सोलर सेल के कई लाभ हैं। इससे वांछित फेज डिस्ट्रिब्यूशन, ग्रेन साइज का बड़ा आकार और बेहतर क्रिस्टल बनना है। शोध के परिणामस्वरूप नए अवसर मिलेंगे और अधिक कारगर पेरोवस्काइट सोलर सेल बनेंगे जो लंबी अवधि तक काम करेंगे।

अक्षय ऊर्जा के सभी स्रोतों में सौर ऊर्जा सभी अधिक सस्टेनेबल माना जाता है क्योंकि यह पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में मिलती है। और ठीक एक दशक पहले पेरोवस्काइट सोलर सेल्स नेक्स्ट जेनरेशन फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी के रूप में स्थापित हुई क्योंकि इसमें सिलिकॉन सोलर सेल्स की तुलना में पीसीई अधिक है। यह सस्ती है और इसकी निर्माण प्रक्रिया भी आसान है। ये संभावनाएं देखते हुए उच्च गुणवत्ता के पेरोवस्काइट सोलर सेल बनाने की कई पद्धतियां और प्रक्रियाएं विकसित की गई हैं।

आईआईटी रुड़की के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर सतपथी ने पेरोवस्काइट सोलर सेल के महत्व और इसके भविष्य के बारे में बात करते हुए कहा कि पेरोवस्काइट सोलर सेल ने अपेक्षाकृत अधिक पावर कन्वर्जन क्षमता का प्रदर्शन किया है। इनमें उच्च प्रदर्शन की क्षमता भी है, लेकिन इनकी स्थिरता प्रमुख विकल्पों की तुलना में सीमित है। हमारा मुख्य उद्देश्य पेरोवस्काइट सोलर सेल में अनुकूल सक्षमता प्राप्त करना और लागत भी यथासंभव कम करना है।

प्रो. सतपथी ने इस सिलसिले में बताया कि हम ने कम लागत पर पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित हैं और ये सिलिकॉन सोलर सेल के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह पहला प्रोटोटाइप सोलर सेल है, जिसका आईआईटी रुड़की में विशेष रूप से विकास किया गया है।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. केके पंत ने कहा कि पूरी दुनिया में कार्बन-न्यूट्रल अर्थव्यवस्था में कदम रखने की मांग बढ़ रही है। पिछले दशक में पेरोवस्काइट सोलर सेल (पीएससी) अधिक संभावना के साथ-साथ कम लागत की फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी बन कर उभरी है। आईआईटी रुड़की में विकसित पीएससी कारगर और स्टेबल सोलर है।

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