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विकसित भारत के लक्ष्य के लिए प्रधानमंत्री ने किया राष्ट्रीय रसद नीति का शुभारंभ

-पहले हम कबूतर उड़ाकर छोड़ते थे, आज चीता छोड़ रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 17 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तैयार माल को तेजी से उसके गंतव्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से शनिवार को राष्ट्रीय रसद नीति (लॉजिस्टिक्स) का शुभारंभ किया। उन्होंने इस नई नीति को देश में उत्पादन से जुड़े सभी क्षेत्रों को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया। साथ ही यह विकसित भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मोदी ने राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय रसद (लॉजिस्टिक्स) नीति का शुभारंभ करते हुए कहा कि भारत एक बड़े उत्पादन केंद्र के रूप में उभर रहा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर सर्वत्र दिखाई दे रहा है। देश में निर्यात के बड़े लक्ष्य तय किये हैं और वह उन्हें पूरा भी कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतिम छोर तक तैयार माल को पहुंचाने में परिवहन से संबंधित बाधाएं दूर हों, उद्योगों का समय और पैसा दोनों बचें इन विषयों पर आठ साल के सघन विचार-विमर्श के बाद यह नई नीति तैयार हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर माल के विपणन से जुड़े परिवहन तंत्र को मजबूत किया है। सीमा शुल्क भुगतान संबंधी मामलों के निपटारे के लिए ई-संचित पोर्टल काम कर रहा है। इससे आयात-निर्यात संबंधी कामकाज, कागजी लिखापढ़ी के जाल से मुक्त हुआ है तथा अनियमितताओं पर रोक लगी है। पूरी प्रक्रिया से कार्यकुशलता में काफी वृद्धि हुई है।

मोदी ने राष्ट्रीय रसद नीति के शुभारंभ की तुलना शनिवार को देश के एक अभ्यारणय में नामीबिया से लाये गये चीतों को छोड़े जाने से की। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि तैयार माल अपने गंतव्य तक चीते की रफ्तार से पहुंचे। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि “पहले हम कबूतर उड़ाकर छोड़ते थे, आज चीता छोड़ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह बदलते हुए भारत का द्योतक है। मोदी ने कार्यक्रम के दौरान एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफार्म (यूलिप) का शुभारंभ भी किया। यह परिवहन क्षेत्र से जुड़ी सभी सेवाओं को एक समन्वित प्लेटफार्म मुहैया करेगा।

प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि विकसित भारत बनने के लिए हमें अन्य विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ आज स्वीकार कर रहे हैं कि भारत एक ‘लोकतांत्रिक महाशक्ति’ के रूप में उभर रहा है।

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