बिहार

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 आरंभ होने की 165वीं वर्षगांठ पर विभिन्न कार्यक्रम

बेतिया

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में भारत की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857आरंभ होने की 105 वी वर्षगांठ पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया ।

इस अवसर पर सर्वप्रथम डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने कहा कि आज ही के दिन 10 मई 1857को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का शंखनाद हुआ था। स्वतंत्रता सेनानियों ने बहादुर शाह जफर को स्वतंत्रता आंदोलन का मुखिया मानते हुए उन्हें फिर से दिल्ली के गद्दी पर बैठाया था। बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में रानी लक्ष्मीबाई, कुंवर सिंह, बहादुर शाह, नाना साहब, तातिया टोपे और बेगम हजरत महल के साथ देश की हजारों स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे।लखनऊ के नजदीक बेगम हजरत महल एवं झांसी की रानी ने आंदोलनकारियों का नेतृत्व करते हुए 7 दिन 7रात तक अंग्रेजों से संघर्ष करती रही लेकिन भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। नेपाली गोरखा सैनिकों एवं पटियाला महाराज के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा ।भारतीयों के प्रति अंग्रेज शासकों का व्यवहार उचित नहीं था।

उन्होंने कहा कि 1857 के आंदोलन के बाद भारत के हजारों अन्नदाता सेनानियों को मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन भारतीयों ने स्वतंत्रता के लिए अपना संघर्ष जारी रखा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में आखिरकार देश के हजारों स्वतंत्रता सेनानियों, अमर शहीदों के बलिदान के बदौलत 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया।

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