उत्तर प्रदेश

दुनिया में तक्षशिला और नालन्दा की ज्ञान परम्परा फिर से स्थापित हो:प्रो. हरेराम त्रिपाठी

वाराणसी,10 नवम्बर। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा किे भारतीय ज्ञान परम्परा पूरे विश्व में अग्रणी रही है, इसे पुनः विश्व पटल पर स्थापित करना है तो हमें इसे जन-जन तक पहुंचाना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 में इस पुरातन ज्ञान परम्परा पर विशेष ध्यान दिया गया है। अब समय आ गया है जब पूरी दुनिया में तक्षशिला और नालन्दा की ज्ञान परम्परा फिर से स्थापित हो।

प्रो.त्रिपाठी गुरुवार को डीएवी पीजी कॉलेज के संस्कृत विभाग के बैनर तले आयोजित दस दिवसीय वैदिक गणित की कार्यशाला का उद्घाटन कर उपस्थित लोगों को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस लौकिक जगत की उत्पत्ति का आधार वैदिक गणित ही है, जिसके मूल में वेद है। जिन दो साहित्य को सबसे प्राचीन माना जाता है उनमें से एक वेद है। बिना वेद के भारतीय संस्कृति अधूरी है और सम्पूर्ण वैदिक और संस्कृत वांग्मय गणित पर ही आधारित है।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता राष्ट्रपति पदक से सम्मानित वेद वाणी वितान, प्राच्यविद्या शोध संस्थान, सतना, मध्य प्रदेश के निदेशक प्रो. सुद्युम्नाचार्य ने कहा कि इस संसार में संख्या का विकास एक अभूतपूर्व घटना है। संख्या में वह शक्ति निहित है जो मूर्त को देखकर अमूर्त का आविष्कार कर सकती है। कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय ने भी अपने विचार रखे। अध्यक्षता करते हुए काॅलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने कहा कि वैदिक गणित गणित के गूढ़़ प्रश्नों को भी सरलता पूर्वक हल करने में सक्षम है। जो बच्चे गणित से डरते हैं उनके अभिभावक वैदिक गणित की सरल पद्धति से उनका गणित के प्रति भय दूर करा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वैदिक गणित पर अभी गहन शोध की आवश्यकता है। कार्यशाला में काॅलेज के मंत्री/प्रबन्धक अजीत कुमार सिंह यादव भी मौजूद रहे। इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ पाणिनी कन्या महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा वेद पाठ से हुआ। कार्यक्रम संयोजक डॉ. दीपक कुमार शर्मा ने संचालन, स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. मिश्रीलाल, विषय स्थापना प्रो. पूनम सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. त्रिपुर सुन्दरी ने दिया। कार्यशाला में देशभर के कई विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्रतिभागी ऑनलाइन -ऑफलाइन मोड से जुड़े रहे।

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