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किस्तान – शहबाज शरीफ बने प्रधानमंत्री तो भारत में क्यों मना जश्न?

कुसुम चोपड़ा

कई दिनों तक चली सियासी उठापटक के बाद आखिरकार विपक्षी दलों की आपसी सहमति से पीएमएल(एन) के नेता शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बन गए। वे पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री होंगे। शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने पर पाकिस्तान में कहीं विरोध हो रहा है तो कहीं खुशियां मनाई जा रही हैं। वहीं भारत में भी एक गांव में जश्न मनाया गया, गुरूदारों में अरदास हुईं और लोगों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया।

इस गांव का नाम है जाती उमरानंगल। पंजाब के तरनतारन जिले में स्थित गांव जाती उमरानंगल के लोग शहबाज शरीफ के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बनने की खबर सुनकर खुशी से झूम उठे। गांव के गुरुद्वारों में विशेष अरदासें हुईं और लोगों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर बधाइयां दीं। इससे पहले जब नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे, तब भी यहां कई दिनों तक जश्न का सिलसिला चला था। शरीफ परिवार पर जब भी कोई संकट आया तब भी इस गांव के गुरुद्वारा साहिब में अरदास की गई। सवाल उठता है कि आखिर पंजाब के इस गांव से पाकिस्तान के इस प्रतिष्ठित शरीफ परिवार का क्या नाता है? शरीफ परिवार के सुख-दुःख में यह गांव क्यों सहभागी होता है?

दरअसल, पंजाब के तरनतारन जिले में पड़ने वाला गांव जाती उमरानंगल शरीफ परिवार का पुश्तैनी गांव है। देश के विभाजन से पहले शरीफ परिवार इसी गांव में रहता था। आज भी यहां नवाज-शहबाज के परदादा मियां मोहम्मद की कब्र है। गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि साल 1932 में शरीफ परिवार यहां से लाहौर जाकर बस गया था। उन्होंने उस समय यह सपने में भी नहीं सोचा था कि वे अपने पैत्रक गांव से हमेशा के लिए जुदा हो जाएंगे। 1947 में देश के बंटवारे के दौरान दोनों देशों के बीच सरहदों की दीवारें खड़ी हो गई। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित तरनतारन जिले का गांव उमरानंगल भारत का हिस्सा हो गया और शरीफ परिवार सीमा के उस पार लाहौर में ही रह गया।

बताते हैं कि शरीफ परिवार के लोग सरहद की दीवारों और दोनों देशों के बीच तनाव के चलते अपने इस पैतृक गांव में भले नहीं आ सके, लेकिन उन्होंने अपने गांव का नाम हमेशा अपने अंदर जिंदा रखने की कोशिश की। नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहते हुए लाहौर के पास लगभग 175 एकड़ की जगह पर जाती उमरा नाम का ही एक गांव बसा दिया। उन्होंने यहां एक गुरुद्वारा साहिब भी बनवाया। इसके अलावा शरीफ परिवार ने लाहौर के पास जो अपना घर बनाया है, उसे भी अपने पैतृक गांव की याद में नाम दिया है- जाती उमरा।

शहबाज शरीफ से पहले जब नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधान रहे तो उनका इस गांव के प्रति विशेष लगाव अक्सर ही देखने को मिल जाता था। अपने सियासी भाषणों और निजी समारोहों में वे अक्सर अपने गांव जाती उमरा की यादें ताजा कर भावुक होते दिखाए दिए।

साल 2013 में जब पंजाब में प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे तब 15 दिसंबर की शाम को शहबाज शरीफ का पूरा परिवार इस गांव में आया था। एक तरफ जहां बादल सरकार ने शरीफ परिवार के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं गांव वालों ने भी उनका इस कदर गर्मजोशी से स्वागत किया कि पूरा परिवार भावुक हो उठा। देर शाम तक गांव के लोग एक जगह जुटकर शरीफ परिवार से सदियों बाद मिलने का जश्न मनाते रहे। शहबाज शरीफ भी उनके साथ बहुत ही अच्छी तरह से मिले और पूरे गांव में कौतुहल के साथ घूम-धूम कर बचपन की यादें ताजा करते रहे। गांव की गलियों से गुजरने पर युवकों ने भांगड़ा डालकर उनका स्वागत किया और गांव में ही पंजाब पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के साथ गांव के कई विकास कार्यों का शिलान्यास भी किया।

गांव वाले बताते हैं कि शाहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां विशेष अरदास की गई और उनके परदादा की कब्र पर चादर चढ़ाई गई। उन्हें पूरी उम्मीद है कि अब जब शहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए हैं तो दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ जरूर पिघलेगी और दोनों अच्छे पड़ोसियों की तरह हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े होंगे।

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