राष्ट्रीय

आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में शीर्ष नेतृत्व तय करेगा सेना के लिए भविष्य का रोडमैप

– रक्षामंत्री 10 नवंबर को सैन्य कमांडरों को संबोधित करने के साथ ही उनसे बातचीत भी करेंगे

– ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए तकनीकी चुनौतियां’ पर विशेषज्ञ सैन्य कमांडरों से करेंगे विचार-विमर्श

नई दिल्ली, 06 नवम्बर। नौसेना के बाद अब सेना के कमांडर राष्ट्र की सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए सोमवार से नई दिल्ली में इकठ्ठा होंगे। सम्मेलन के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 10 नवंबर को सैन्य कमांडरों को संबोधित करने के साथ ही उनसे बातचीत भी करेंगे। सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करके भारतीय सेना के लिए भविष्य की रूपरेखा तय करेगा।

सैन्य कमांडरों का यह सम्मेलन शीर्ष-स्तरीय द्विवार्षिक संस्थागत मंच है, जिसमें वैचारिक स्तर पर विमर्श करके भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। सैन्य कमांडरों के सम्मेलन का यह इस वर्ष का दूसरा संस्करण है, जो 11 नवंबर तक चलेगा। पहला संस्करण 18-22 अप्रैल तक नई दिल्ली में हुआ था। इस आयोजन में सेना प्रमुख, सेना उप प्रमुख, सभी सैन्य कमांडर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। यह भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए सैन्य मामलों के विभाग और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करने का एक औपचारिक मंच है।

सम्मेलन में सेना कमांडरों की ओर से पेश किए जाने वाले विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर गहन चर्चा होगी, जिसमें अंडमान एवं निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ (सिनकैन) और विभिन्न प्रमुख उच्चाधिकारियों की ब्रीफिंग भी शामिल है। इसके अलावा ‘समकालीन भारत-चीन संबंध’ के साथ-साथ ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए तकनीकी चुनौतियां’ पर विषय विशेषज्ञ सैन्य कमांडरों से बातचीत करेंगे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 10 नवंबर को सेना के कमांडरों को संबोधित करने के साथ उनसे बातचीत भी करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने पर सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित करेंगे।

सम्मेलन के दौरान भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व सक्रिय सीमाओं के साथ परिचालन स्थिति की समीक्षा करेगा। संघर्ष वाले पूरे क्षेत्र में परिचालन तैयारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए क्षमता का विश्लेषण भी इसी सम्मेलन में किया जाना है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण, उत्कृष्ट तकनीक को शामिल करने, रूस-यूक्रेन युद्ध के किसी भी प्रभाव पर मूल्यांकन से संबंधित पहलुओं पर चर्चा भी निर्धारित है। भारतीय सेना के कार्यों में सुधार, वित्तीय प्रबंधन, ई-वाहनों को शुरू करने और डिजिटलीकरण से संबंधित प्रस्तावों के अतिरिक्त क्षेत्रीय कमांडों के विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर वरिष्ठ कमांडर विचार-विमर्श करेंगे।

इस सम्मेलन के दौरान भारतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व भारतीय सेना के लिए भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए वर्तमान, उभरते सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर विचार-मंथन करेगा। सम्मेलन में भविष्य की दृष्टि से सेना के लिए जरूरी बदलाव, क्षमता विकास, आधुनिकीकरण पर प्रगति, सैन्य अभियानों के लिए रूपरेखा, आत्मनिर्भरता के लिए परिवर्तन, सैन्य प्रशिक्षण के लिए भविष्य की चुनौतियों से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाना है। सम्मेलन में लॉजिस्टिक्स और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययन सहित परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करके भारतीय सेना के लिए भविष्य की रूपरेखा तय करेगा।

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