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 21वीं सदी के अनुकूल नीतियों और व्यवस्था को न ढाला तो हम पिछड़ जाएंगेः प्रधानमंत्री

नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को छात्रों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी नीतियों और व्यवस्थाओं को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको विकसित नहीं करेंगे तो हम पिछड़ जाएंगे।

यहां तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में आयोजित ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें विचार करना होगा कि क्या हम 20वीं सदी की सोच, नीति, व्यवस्था से 21वीं सदी में आगे बढ़ सकते हैं? उन्होंने कहा कि हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी नीतियों, व्यवस्थाओं को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको विकसित नहीं करेंगे तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति का हिंदुस्तान के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है। इसलिए इस काम को करने वाले सभी लोग अभिनंदन के अधिकारी हैं।

बदलते परिवेश में ऑनलाइन शिक्षा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि जितना आइपैड, मोबाइल फोन के इस्तेमाल में आनंद आता है, उससे हजार गुना आनंद अपने भीतर घुसने का होता है। उन्होंने छात्रों को मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गजट से इतर स्वयं के भीतर झांकने की सीख देते हुए कहा कि दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे। जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे। उन्होंने छात्रों को एकाग्रचित्त हो अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है, मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन का अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करने का प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइमटेबल में रख सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि उन्हें अपने मन में यह तय कर लेना चाहिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाली परीक्षा के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता है।

उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं। आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए।

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