अंतर्राष्ट्रीय

सत्ता से हटते ही बढ़ी इमरान की मुश्किलें, कार्यकाल पूरा नहीं करने वालों में जुड़ा नाम

इस्लामाबाद

पाकिस्तानी लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय यह है कि आज तक एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। वहीं सत्ता गंवाने के बाद इमरान खान और उनकी पार्टी के नेताओं की मुश्किलें बढ़ने के साथ गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

पाकिस्तानी सियासत से जुड़े एक अहम मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान समेत उनके कैबिनेट के दूसरे सहयोगियों के देश से बाहर जाने पर रोक लगाने और इनका नाम देश नहीं छोड़ने की सूची में शामिल करने से जुड़ा है। इसके अलावा हाईकोर्ट में कथित धमकी भरे पत्र की जांच का आदेश देने वाली एक अर्जी पर सुनवाई होनी है।

रिपोर्ट के अनुसार इस याचिका में इस्लामाबाद हाईकोर्ट से इमरान खान, फवाद चौधरी और शाह महमूद कुरैशी, पूर्व डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और असद मजीद के नाम ईसीएल पर रखने का अनुरोध किया गया है।

एक अन्य याचिका में देश के पूर्व प्रधानमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ कथित धमकी भरे पत्र के संबंध में जांच कराने का आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि इमरान खान ने अमेरिका का हवाला देकर देश की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया है। इसका खामियाजा अमेरिका से संबंधों पर भी पड़ा है।

यदि हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में इमरान खान के खिलाफ आता है तो यह उनके लिए एक और झटका होगा। जिसके बाद कोई भी नेता देश नहीं छोड़ पाएगा। इस याचिका में इस्लामाबाद हाईकोर्ट से इमरान खान, फवाद चौधरी और शाह महमूद कुरैशी, पूर्व डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और असद मजीद के नाम ईसीएल पर रखने का अनुरोध किया गया है।

जानकारी के अनुसार फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी को हाई-अलर्ट पर रखा गया है, जिसके एक आदेश में कहा गया है कि उनकी इजाजत के बिना कोई भी सरकारी अधिकारी देश से बाहर नहीं जाएगा।

जानकारी के अनुसार नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर के इस्तीफा देने और सरकार जाने के साथ सख्ती शुरू कर दी गई है। देश के सभी इंटरनेशनल हवाई अड्डों को भी हाई-अलर्ट पर रखा गया है।

पाकिस्तान में हर प्रधानमंत्री का कार्यकाल अधूरा

पाकिस्तान में पहले प्रधानमंत्री से लेकर इमरान खान तक कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। इनमें से नौवें प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो का कार्यकाल 1973 से 1977 तक रहा, उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की स्थापना भी की थी। पीपीपी ने ही देश की पहली ऐसी सरकार दी थी, जिसने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया था। हालांकि, इस दौरान पीएम जरूर बदलते रहे।

इनमें जुल्फीकार अली भुट्टो का अंत बेहद दुखद हुआ था। तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने सरकार का तख्ता पलट कर पहले जेल में डाला, बाद में उन्हें रावलपिंडी की जेल में फांसी दे दी गई थी।

वहीं 1947 से 1951 तक लियाकत अली खान देश के पीएम रहे थे। उनकी हत्या 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में एक रैली के दौरान कर दी गई थी।

वहीं क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने वर्ष 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का गठन किया था। वर्ष 2002 में इमरान खान चुनाव जीतकर नेशनल असेंबली के सदस्य बने। वर्ष 2013 में इमरान खान दोबारा चुनाव जीतकर नेशनल असेंबली पहुंचे।

2018 के आम चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के बाद इमरान खान पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। छह मार्च, 2021 को इमरान खान ने अपने वित्त मंत्री की हार के बाद नेशनल असेंबली में विश्वास मत जीता।

8 मार्च, 2022 को पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर मौजूदा सरकार पर देश में अनियंत्रित होती महंगाई को कम करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

19 मार्च, 2022 को इमरान खान की पार्टी ने असंतुष्ट पीटीआई सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। 20 मार्च को नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 25 मार्च को नेशनल असेंबली का सत्र बुलाया।

25 मार्च को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का सत्र इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए बिना ही स्थगित कर दिया गया। 27 मार्च को एक रैली में इमरान खान ने अपनी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कथित तौर पर हो रही ‘साजिश’ के पीछे विदेशी ताकतों के होने का दावा किया।

28 मार्च को पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ ने नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

31 मार्च को इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए संसद की बैठक। 01 अप्रैल को इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में दावा किया कि उनकी जान को खतरा है। 03 अप्रैल को नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रोका।

03 अप्रैल को इमरान खान की सलाह के बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली भंग किया।

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