बिहार

दिनकर की कविताएं देती है उर्जा, युवा पीढ़ी करें आत्मसात : डॉ. अभिषेक कुमार

बेगूसराय, 21 सितम्बर। राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति के तत्वावधान में चल रहे नौ दिवसीय दिनकर जयंती समारोह के छठे दिन बुधवार को अद्यतन दिनकर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल सिमरिया में समारोह आयोजित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि साहित्यकार आनंद रमण ने कहा कि दिनकर राष्ट्रवाद के सबसे बड़े पुरोधा थे। दिनकर हमेशा शोषण विरूद्ध कविता के माध्यम से प्रतिकार करते रहे, जो बहुत ही कम कवियों में दिखती है। सिमरिया के बच्चे दिनकर की विरासत को संभालने का काम कर रहे हैं।

युवा साहित्यकार डॉ. अभिषेक कुमार ने कहा कि दिनकर की कविताएं हमें उर्जा देती है। युवा पीढ़ी को राष्ट्रकवि दिनकर की कविताओं को आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने कई बाल कविताओं का पाठ किया तथा कहा कि दिनकर ने बच्चों के लिए भी ढ़ेर सारी कविताएं लिखी है, जिससे प्रेरित होकर बच्चे अपनी मंजिल को पा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि दिनकर का साहित्य ऐसा समुद्र है जिसमें आप जितना गोता लगाएंगे, वह उतना गहरा होता जाएगा। दिनकर जी की कविताओं को कभी धीमे-धीमे नहीं पढ़ना है, हमेशा बुलंद आवाज में सुनाना है। दिनकर अब मुझे कवि से ज्यादा दार्शनिक लगने लगे हैं। दिनकर की रचना ”संस्कृति के चार अध्याय” को पढ़ते हुए कई ऐसे मौके आए जब सहमति और असहमति के सवाल पर लगा कि मेरे सवालों का जवाब सिर्फ दिनकर ही दे सकते हैं।

यह समय ऐसा है जब राजनीति और सत्ता के लालच की वजह से रोज सांप्रदायिकता को नया रंग दिया जा रहा है। इतिहास से छेड़छाड़ हो रही है, तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। कौन समाज का हीरो होगा, यह पीआर कैंपेन तय कर रहे हैं, झूठ का मकड़जाल बुना जा रहा है। प्रजातंत्र इसी झूठ, पाखंड और आडंबर के बोझ तले झुकता जा रहा है और साहित्य मठाधीशों के चंगुल में फंस छटपटाने को विवश हो रहा है।

ऐसे समय में दिनकर की रचनाएं और प्रासंगिक हो गई हैं और वे हमारे भीतर एक आक्रोश, सच को परखने की क्षमता और जीतने की ललक पैदा करती है। दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने कहा कि दिनकर स्मृति विकास समिति का यह आयोजन अनूठा है, इससे बच्चों में दिनकर के प्रति जागरूकता आएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शर्मा ने कहा कि मेहनत कर बच्चे आने वाले समय में दिनकर बन सकते हैं। इस आयोजन से करीब एक हजार बच्चे जुड़े, जिन्होंने दिनकर के व्यक्तित्व और कृतित्व को जानने की कोशिश की, जिसे दिनकर स्मृति समिति की सफलता के रूप में देख सकते हैं।

पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी ने कहा कि दिनकर की कविताओं का अनूठा प्रयोग बच्चे कर रहे हैं। काव्य नाटिका और अंत्याक्षरी तैयार कर बच्चों ने लोगों का मन मोह लिया, जरूरत है कि दिनकर की कविताओं को बच्चे जीवन में उतारें। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक चिंटू कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य लवकुश सिंह ने किया। इस अवसर 60 बच्चों ने दिनकर की कविताओं का सस्वर पाठ किया।

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