प्रेस मान्यता समिति गठित न करने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी जानकारी
-कोर्ट ने पूछा, अभी तक उप्र प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहींं
प्रयागराज, 16 सितम्बर। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से 16 जून, 2020 को प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था। जिसके संदर्भ में प्रदेश के अन्य संगठनों के साथ ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) की ओर से भी आवेदन किया गया था। समिति के गठन में हो रही देरी के सम्बन्ध में ऐप्रवा की ओर से मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के आला अधिकारियों को पत्र भेजा गया था।
जिसमें उत्तर प्रदेश शासन ने ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) को सम्मिलित करने के लिए एक पत्र निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उप्र को भेजा था। जिसके बावजूद कोई कार्यवाही न होने पर ऐप्रवा की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फरवरी 2022 में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता समिति के गठन के लिए जवाब मांगा। जिसमें शासन की ओर से बताया गया था कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण नई सरकार बनने के बाद ही प्रेस मान्यता समिति का गठन करने की कार्यवाही हो पाएगी।
इस जानकारी के बाद कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका निस्तारित किया था कि यदि सरकार बनने के बाद मान्यता समिति गठित नहीं होती तो याची फिर याचिका दायर कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दिया था।
नई सरकार बनने पर ऐप्रवा के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी की ओर से अनुस्मारक/स्मरण पत्र शासन को भेजा गया, जिसके बावजूद भी उप्र मान्यता समिति का गठन नहीं हो पाया। तत्पश्चात कोर्ट के आदेश के क्रम में पुनः ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष आचार्य श्रीकांत शास्त्री की तरफ से वाद दाखिल किया गया। जिसमें 14 सितम्बर 2022 को न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खण्डपीठ ने अगली तिथि 30 सितम्बर नियत करते हुए उ.प्र सरकार से जानकारी मांगी है कि अब तक उ.प्र प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहीं।