बिहार

मत्स्यगंधा के कारु खिरहर मंदिर परिसर मे भगैत सम्मेलन आयोजित

सहरसा,01 जनवरी। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मत्स्यगंधा स्थित कारू खिरहर मंदिर परिसर में भगैत धर्म सभा द्वारा भगैत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्वागताध्यक्ष देव नारायण यादव उर्फ नुनू यादव द्वारा संचालक अशोक मानव के नेतृत्व में अतिथियों का मिथिला पद्धति अनुसार स्वागत किया गया।

इस अवसर पर कांग्रेस शिक्षक प्रकोष्ठ के संजीव कुमार झा, व्यवसायी रंजीत दास, मेयर प्रत्याशी बबलू यादव, संरक्षक परमेश्वरी यादव, भरत यादव एवं संजय वशिष्ट को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने सिद्ध पुरुष कारू खिरहर के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा की। स्वागताध्यक्ष देव नारायण यादव ने कहा कि दूध विक्रेता संघ एवं भगैत धर्म सभा के संयुक्त तत्वावधान में हर वर्ष भगैत अष्टयाम का आयोजन किया जाता है। जिसके माध्यम से जिले एवं राज्य सहित देश के लोगों के लिए सुख समृद्धि की मंगल कामना की जाती है।

उन्होंने बताया को इस भगैत सम्मेलन में भारत एवं नेपाल के विभिन्न जिलों से प्रसिद्ध भगैत अपने गायन के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लेते हैं। संचालक अशोक मानव ने कहा कि भगैत प्रसाद के माध्यम से लोगों की सुख की कामना की जा रही है।उन्होंने कहा कहा कि आज यह कला विलुप्त होने के कगार पर है। लेकिन भगैत धर्म सभा इसके संवर्धन एवं संरक्षण के लिए हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। संजय वशिष्ट ने बताया की कारू खिरहर एक सिद्ध पुरुष थे। जिन्होंने संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए कठिन साधना कर सिद्धि प्राप्त की थी। आज उनका मंदिर महिषी प्रखंड के महपूरा गांव में कोशी नदी किनारे अवस्थित है।इस मंदिर में सप्ताह के 2 दिन लोगों की काफी भीड़ रहती है ।जहां पशुपालक किसान अपने मवेशी के जान माल की रक्षा करने हेतु बाबा कारू खिरहर के यहां आकर अपनी गुहार लगाते हैं। ज्ञात हो कि संजय वशिष्ट द्वारा मैथिली लोक गाथा कारू खिरहर विश्लेषणात्मक अध्ययन पर शोध की गई है।

उन्होंने बताया कि लोक गाथा लोक साहित्य का महाकाव्य माना गया है। महाकाव्य का एक प्रमुख पात्र होता है। जिसकी प्रसिद्धि अनंत काल तक रहती है। उन्होंने कहा कि कारू खिरहर की प्रसिद्धि एवं प्रभाव के कारण ही लोक देवता के रूप में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।स्वागताध्यक्ष ने बताया की नववर्ष के अवसर पर मत्स्यगंधा मंदिर में भगैत अष्टयाम के बाद स्टेशन पर दरिद्र नारायण भोज का आयोजन किया जाता है।

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