समस्त धर्मों का राजा ब्रह्मचर्य धर्म है और इसे आत्मसात करना ही सच्चा तप है : सुमति मुनि
जैन स्थानक में पर्युषण पर्व में प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते संत।
गन्नौर। श्री एस एस जैन सभा स्थानक में विराजमान सुमति मुनि, श्री विचक्षण मुनि,उदितराम मुनि, पराग मुनि ने पर्युषण पर्व के चलते श्रद्धालुओं को प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित की। पर्युषण पर्व में रविवार को श्रद्धालु उमड़े। प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए सुमति मुनि महाराज ने कहा कि समस्त धर्मों का राजा ब्रह्मचर्य धर्म है। ब्रह्मचर्य आत्मसात करना ही सच्चा तप है। उत्तम ब्रह्मचर्य सभी जीवों को अपने अंतरंग में धारण करना चाहिए। आयु में अपने से बड़ी स्त्रियों को माता समान, अपने समान आयु की युवतियों को बहन समान और अपने से छोटी उम्र की युवतियों को बेटी के समान देखना चाहिए।
महाराज ने कहा कि हमे उनसे क्षमा मांगनी चाहिए। जिनके साथ हमने बुरा व्यवहार किया हो। सिर्फ इंसानो के लिए ही नहीं बल्कि हर एक इन्द्रिय से पांच इन्द्रिय जीवो के प्रति जिनमें जीवन है उनके प्रति भी ऐसा भाव रखना चाहिए।
उत्तम क्षमा हमारी आत्मा को सही राह खोजने मे और क्षमा को जीवन और व्यवहार में लाना सिखाता है जिससे सम्यक दर्शन प्राप्त होता है। महाराज सुमति मुनि ने कहा कि आत्मा को कठोर तप त्याग की कुछ समय की यातना सहन करके परम आनंद मोक्ष को पाने का प्रथम मार्ग है। जैन स्थानक के पूर्व शेखर जैन व गौरव जैन ने सभी भक्तों का स्वागत किया।