हरियाणा

विभाजन के शहीदों की याद में कुरुक्षेत्र में बनाया जाएगा शहीदी स्मारक : मनोहर लाल

कुरुक्षेत्र,14 अगस्त। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले शहीदों की याद में कुरुक्षेत्र जिले के पिपली के नजदीक इनकी याद में शहीदी स्मारक बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने पंचनद स्मारक ट्रस्ट को शहीदी स्मारक ट्रस्ट बनाने के निर्देश देते हुए कहा कि यह ट्रस्ट अर्ध सरकारी हो। उन्होंने कहा कि ऐसा स्मारक बनाया जाएगा जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा। समाज का हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य अनुसार इसमें योगदान देगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि वे भी इस ट्रस्ट के सदस्य होने के नाते इसमें भरपूर सहयोग देंगे। वे रविवार को कुरुक्षेत्र की थानेसर अनाज मंडी में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में बोल रहे थे।

अहम पहलू यह है कि विभाजन विभीषिका दिवस को ऐतिहासिक और यादगार बनाने में पंचनद स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं विधायक सुभाष सुधा का अहम योगदान रहा। इसके साथ ही पंचनद स्मारक ट्रस्ट से स्वामी धर्मदेव जी महाराज और तमाम ट्रस्टियों के प्रयास रंग लाए है। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्व प्रथम सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग व हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी द्वारा लगाई गई दो प्रदर्शनियों का उद्घाटन व अवलोकन किया। इन प्रदर्शनियों में विभाजन के दौरान की यादों को तस्वीरों, कार्टून व खबरों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने मुख्य मंच से नीचे आकर विभाजन विभीषिका को झेलने वाले बुजुर्गों से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री के मंच से नीचे आकर सम्मानित करने पर कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया और बुजुर्ग भी भावविभोर हुए। इसके बाद मंच से संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त को आजादी के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे, यह खुशी का दिन है लेकिन 14 अगस्त खुशी का दिन नहीं हो सकता क्योंकि इस दिन देश के बंटवारे की लकीर हमारे अरमानों पर खींची गई थी। यह भूमि का बंटवारा नहीं बल्कि हमारी भावनाओं का बंटवारा था। आज देश इस दिन को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मना रहा है। इस बंटवारे में पंजाब, बंगाल और सिंध प्रांत अलग हो गए। इससे पहले देशों के बंटवारे तो बहुत हुए लेकिन यह पहला बंटवारा था जिसमें लाखों लोगों का विस्थापन हुआ और लोग शहीद हुए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को आजादी से पहले विभाजन का दंश झेलना पड़ा। अपना-अपना क्षेत्र छोडकऱ हजारों किलोमीटर दूर बसना पड़ा। मुख्यमंत्री ने एक शेर सुनाकर इस त्रासदी को बताया कि ‘वहां से चले तो पता नही था, बेबसी सी जिंदगी ने देखा था हमें, हम सफर पर थे पर मंजिल कहां है पता न था’। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय कुछ लोग 15 अगस्त को तो कुछ 16 व कुछ 17 अगस्त को चले थे। कुछ पैदल, कुछ ट्रेन व कुछ बैलगाडिय़ों में यहां तक आए। मजहबी उन्माद, हिंसा, नफरत की वजह से विभाजन में लाखों लोग शहीद हो गए। कुछ लोगों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए बहू-बेटियों को तलवार से काट डाला। विभाजन के समय इज्जत बचाने के लिए बहू-बेटियों ने कुएं में छलांग लगा दी थी। इन घटनाओं को कुछ पुराने लोग आज भी याद करते हैं तो उनके रौंगटे खड़े हो जाते हैं।

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