उत्तर प्रदेश

राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की रणनीति के आगे मुख्य विपक्षी पार्टी सपा धराशायी

भाजपा विधायकों को दी गयी ट्रेनिंग

मायावती और राजाभैया पहले से ही भाजपा के साथ

लखनऊ,17 जुलाई। राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाजपा की रणनीति के आगे उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी धराशायी हो गयी है। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के बाद सपा नेता अखिलेश यादव ने सदन में आक्रामक रूख अपनाकर एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने का अहसास जनता को कराया था। लेकिन उनका तेवर अब ढ़ीला पड़ गया है। आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपुचनाव में मिली हार के बाद रही कोर—कसर राष्ट्रपति चुनाव ने पूरी कर दी है।

केन्द्र में विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा के नाम की घोषणा होने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यशवंत सिन्हा के नाम का समर्थन करने की घोषणा की। लखनऊ दौरे पर जब यशवंत सिन्हा आये तो अखिलेश यादव ने सपा विधायकों और अपने सहयोगी दलों के विधायकों के साथ बैठक भी कराई और चुनाव में समर्थन का भरोसा दिलाया। सपा द्वारा राष्ट्रपति पद के चुनाव में यशवंत सिन्हा को समर्थन सपा के सहयोगी दल ही नहीं बल्कि उनके चाचा शिवपाल यादव को भी रास नहीं आया। यही कारण रहा कि जब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह लखनऊ आये तो उनके भोज में सपा की सहयोगी पार्टी सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर और शिवपाल यादव पहुंच गये। इस बीच यशवंत सिन्हा द्वारा पूर्व में मुलायम सिंह को आईएसआई का एजेंट बताने की अखबर की कतरन सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इससे शिवपाल यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को राष्ट्रपति पद के चुनाव में पुनर्विचार करने की सलाह दी है। वहीं सपा की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा का विपक्ष के नेता अखिलेश यादव की हवा ही निकाल दी। वहीं शिवपाल यादव ने भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा की है। इससे यह सिद्ध होता है कि अखिलेश अपने सहयोगी दलों के नेताओं को रोक नहीं पा रहे हैं। इस चुनाव में सुभासपा ने सपा के मजबूत विपक्ष के दावे की हवा निकाल दी है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश ही नहीं कई प्रदेशों के ऐसे राजनीतिक दल जो भाजपा से समर्थित नहीं हैं लेकिन राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाजपा के साथ हैं। उत्तर प्रदेश में भी ओमप्रकाश राजभर और राजाभैया ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा की है। यह हमारे विचारों की जीत हैं

मायावती और राजाभैया पहले से ही भाजपा के साथ

राष्ट्रपति के चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधायकों की कीमत सबसे अधिक है। एक भी वोट खराब न हो, इसलिए भाजपा ने अपने सभी विधायकों को वोटिंग का प्रशिक्षण दिया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को उत्तर प्रदेश से बड़ी जीत तय है। क्योंकि मायावती और रघुराज प्रताप सिंह पहले ही राजग प्रत्याशी के समर्थन में आ चुके थे। इनमें राजभर के पास छह वोट, रघुराज प्रताप सिंह के पास दो, मायावती के पास एक और शिवपाल के पास भी अपना अकेला वोट है। इस तरह कुल 281 विधायकों के अलावा भाजपा के 64 लोकसभा व 25 राज्यसभा सदस्यों और बसपा के 10 लोकसभा व एक राज्यसभा सदस्य का वोट राजग प्रत्याशी को मिलना तय है।

इस तरह मुर्मू यूपी में यशवंत सिन्हा को काफी पीछे छोड़ देंगी।

इसमें सबसे पहले संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधायकों को राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझाई। बताया कि किस तरह वोट डालना है। मतदान पत्र का नमूना दिखाया गया। गलत और मतदान को चित्रित किया गया। भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने भी नियमों की जानकारी दी।

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