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 वीर बाल दिवस को लेकर अल्पसंख्यक आयोग ने सिख समुदाय के बुद्धिजीवियों के साथ की महत्वपूर्ण बैठक

नई दिल्ली, 06 दिसंबर। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर वीर बाल दिवस मनाने के लिए सिख समुदाय के बुद्धिजीवियों के साथ मंगलवार को एक बैठक का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने की। बैठक में आयोग की सदस्य रिनचेन ल्हामो सहित आयोग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

आयोग मुख्यालय में आयोजित बैठक में आयोग को 26 दिसंबर 2022 को ’वीर बाल दिवस’ के आयोजन के लिए विभिन्न सुझाव प्राप्त हुए हैं। अधिकांश सुझाव देशभर में साहिबजादों के बलिदान के बारे में आम जनमानस में जागरुकता पैदा करने से संबंधित मिले हैं। साहित्यिक एवं संस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के सुझाव भी दिए गए हैं। स्कूली पाठ्यक्रम में साहिबजादों की कहानी को शामिल करने और देश की सभी भाषाओं में छात्रों के बीच कॉमिक्स और लघु फिल्मों के माध्यम से इसका प्रचार करने पर भी बल दिया गया है। आयोग वीर बाल दिवस को सफल बनाने के लिए इन सुझावों को पीएमओ और संस्कृति मंत्रालय के समक्ष उठाएगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 26 दिसंबर को साहिबजादा जोरावर सिंह (7 वर्ष) और साहिबजादा फतेह सिंह (5 वर्ष) की शहादत को चिह्नित करने के लिए वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। 26 दिसंबर 1704 को सरहिंद में दीवारों में ईंटें लगाकर उन्हें जिंदा कैद कर शहीद कर दिया गया था। भारत सरकार ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में चिह्नित करने के प्रधानमंत्री के फैसले की सराहना की है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए एनसीएम अध्यक्ष ने कहा कि हम 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि साहिबजादों की शहादत को 318 साल से अधिक हो गए हैं, हालांकि हम अभी तक उनके बलिदान के सम्मान में उनके नाम पर किसी संस्थान का नाम नहीं रख पाए हैं। हमें इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है। साहिबजादों के नाम पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार स्थापित करना आवश्यक है। साहिबजादों की कहानी को भारत और दुनियाभर में प्रसारित करने की जरूरत है।

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