सपा के राज्य सम्मेलन में राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव पास
लखनऊ, 28 सितम्बर। समाजवादी पार्टी (सपा) के 9वें राज्य सम्मेलन में पार्टी के एजेंडे में शामिल दो प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया। इनमें राजनीतिक व आर्थिक प्रस्तावों पर मुहर लगी। राजनीतिक प्रस्ताव में सपा नेताओं पर मुकदमे दर्ज करने व आर्थिक प्रस्ताव में महंगाई व किसानों की समस्याएं प्रमुख रहीं।
सपा के दो दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन राज्य सम्मेलन पर चर्चा करते हुए भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा गया। राज्य सम्मेलन में राजनीतिक प्रस्ताव पास किया गया। राजनीतिक प्रस्ताव के अंतर्गत 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति और तैयारियों को शामिल किया गया है। साथ ही संगठन विस्तार और जनता के बीच जाने की बात रखी है। आर्थिक प्रस्ताव में महंगाई का मुद्दा उठाया। कहा कि महंगाई चरम पर है। सरकार को इसकी चिंता नहीं है। पार्टी नेता राजपाल कश्यप ने अधिवेशन में यह प्रस्ताव पढ़ा और उपस्थित कार्यकर्ताओं ने नेता जी जिंदाबाद, अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाए।
सम्मेलन में उठा आजम का मुद्दा
सपा सम्मेलन में सबसे पहले आजम खां के पक्ष में बोलते हुए भाजपा सरकार पर आरोप लगाया। कहा कि उन्हें जेल में यातना दी गयी। बीजेपी सरकार में दलित, मुस्लमान सुरक्षित नहीं है। अल्पसंख्यकों की संस्थाओं पर बीजेपी की बुरी नजर है। सरकार सीबीआई, ईडी का दुरूपयोग कर विपक्ष को धमका रही है। यही नहीं सपा ने दावा किया कि मानवाधिकार के सबसे अधिक नोटिस यूपी सरकार को मिले।
भाजपा सरकार में महंगाई व किसान परेशान
सपा अधिवेशन में महंगाई का मुद्दा उठाया। कहा कि महंगाई चरम पर है। सरकार को इसकी चिंता नहीं है। प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। प्रदेश में स्वास्थय सेवाएं बदहाल है। बीजेपी राज में किसान को समस्याएं की सुध नहीं ली जा रही है। किसानों से किया गया मुफ्त बिजल का वायदा पूरा नहीं किया गया। सपा ने राज्य सम्मेलन में जातीय जनगणना की मांग उठाई। कहा कि मंत्रियों और ब्यूरोक्रेसी के बीच खींचतान से प्रदेश का विकास कार्य ठप है।
सम्मेलन में पहले दिन उप्र के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सत्र की शुरुआत में ही दोबारा नरेश उत्तम पटेल को चुना गया। उन्हें अखिलेश यादव ने बधाई दी। अधिवेशन का समापन शाम को अखिलेश यादव के संबोधन से होने की बात पार्टी नेता अरविंद कुमार ने दी।