राष्ट्रीय

 बांग्ला की समृद्ध विरासत और संस्कृति नई शिक्षा नीति का हिस्सा हो: डॉ. अनिल शर्मा जोशी

कलकत्ता, 16 दिसम्बर। केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा जोशी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद, ऋषि अरविंद, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर ने देश को गौरव और स्वाभिमान का मार्ग दिखाया है। इन विभूतियों के विचारों को नई शिक्षा नीति में शामिल किया जाना चाहिए।

केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. जोशी शुक्रवार को कोलकाता में शिक्षा से संबंधित एक अखिल भारतीय दो दिवसीय परिचर्चा काे संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बंगाली परंपरा और संस्कृति इतनी धनी है, इतनी घटनापूर्ण है कि इसे निश्चिततौर पर नई शिक्षा नीति का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। जोशी ने कहा कि पलाशी की लड़ाई से लेकर 1911 में भारत की राजधानी के हस्तांतरण तक शिक्षा-संस्कृति-स्वतंत्रता संग्राम-बंगाल ने हर क्षेत्र में रास्ता दिखाया है। देश आजाद होने से पहले रवींद्रनाथ को नोबेल मिला था। देश का सबसे उल्लेखनीय शैक्षणिक संस्थान शांति निकेतन था। पंडित नेहरू ने अपनी बेटी को यहीं पढ़ाया। भारत और पड़ोसी देश बांग्लादेश के राष्ट्रगान की रचना बंगाल में हुआ था। रवींद्र संगीत का जन्म यहीं हुआ था। कलकत्ता देश के समाचार पत्रों में अग्रणी था। बंगाल ने बॉलीवुड में भी कामयाबी दिखाई है। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने भी पुस्तक मेलों के लिए कोलकाता को आदर्श स्थान बताया था।

डॉ अनिल शर्मा जोशी ने आगे कहा, “ पिछली शिक्षा नीति 1986 में बनी थी। 34 साल बाद नई शिक्षा नीति की जरूरत पड़ी है। हर साल 18 लाख छात्र इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं। 13 लाख पास होते हैं। इसका एक प्रमुख कारण विदेशी भाषा है। 1918 में महात्मा गांधी ने इंदौर में कहा था कि देश में एक भाषा होनी चाहिए। उन्होंने हिंदी को प्राथमिकता देने की बात कही थी।

कोलकाता के बाबा साहेब अम्बेडकर शिक्षा विश्वविद्यालय (बीएसएईयू), पूर्व में पश्चिम बंगाल शिक्षक प्रशिक्षण, शिक्षा, योजना और प्रशासन विश्वविद्यालय और महिला डायमंड हार्बर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. सोमा बंद्योपाध्याय की अध्यक्षता में इस परिचर्चा का आयोजन किया गया। डॉ. बंद्योपाध्याय ने कहा कि यदि हर राज्य नई शिक्षा नीति को लागू करने में पहल करे तो समग्र लाभ मिलेगा। यह पहली बार है कि केंद्रीय हिंदी संस्थान ने पश्चिम बंगाल के किसी विश्वविद्यालय के साथ इस तरह की संयुक्त चर्चा का आयोजन किया है। डॉ. सोमा ने कहा कि शिक्षा नीति को कैसे और कितना बदलने की जरूरत है, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में इन सब पर विचार किया गया है। सोमा ने कहा, ‘नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में ड्रॉपआउट करने वाले बच्चों को भी सर्टिफिकेट मिलेगा जो अच्छी बात है। यूजीसी, एआईसीटीई जैसे विभिन्न स्तर के संगठनों के ढांचे में बदलाव कर भारतीय उच्च शिक्षा परिषद का गठन किया जाएगा।

आगरा की केन्द्रीय हिन्दी संसाधन निदेशक, लेखिका एवं प्राध्यापक डॉ. वीणा शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति किस उद्देश्य से, किसके लिए बनाई जा रही है, यह समझा जाना चाहिए। मातृभाषा को भी बचाना जरूरी है। भाषा लोगों के बीच सेतु बनाती है। कहते हैं विद्वान पूरी दुनिया में पूजे जाते हैं और नई शिक्षा नीति इसी को केंद्रित कर बनी है जो भारतीयता से ओतप्रोत है।

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