बिहार

जयंती पर याद किये गए राष्ट्रकवि दिनकर, दिनकर अतीत ही नहीं वरन वर्तमान और भविष्य के भी महाकवि हैं – कुलपति प्रो. जवाहर लाल

भागलपुर, 23 सितंबर। राष्ट्रकवि और भागलपुर विश्वविद्यालय के छठे कुलपति रहे रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर शुक्रवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा है कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं के लिए यह गौरव और सम्मान की बात है कि दिनकरजी जैसी महान शख्सियत यहां के कुलपति पद को सुशोभित किये हैं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत, क्रांतिपूर्ण संघर्ष की प्रेरणा देने वाले वीर रस के कवि रामधारी सिंह दिनकर का जीवन और व्यक्तित्व उच्च आदर्शों पर आधारित था। भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का कार्यकाल 10 जनवरी 1964 से 3 मई 1965 तक रहा है।

वीसी प्रो. लाल ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिह दिनकर यशस्वी भारतीय परंपरा और संस्कृति के अनमोल रत्न हैं। जिन्होंने अपनी कालजयी रचनाओं के माध्यम से देश निर्माण और स्वतत्रता के सघर्ष में स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर दिए थे। वे शौर्य और पराक्रम के कवि थे। कुलपति प्रो. लाल ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर अतीत ही नहीं वरन वर्तमान और भविष्य के भी महाकवि हैं। दिनकर के व्यक्तित्व व कृतित्व से सबों को सीख लेने की जरूरत है। बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग्राम में एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले इस महान राष्ट्रकवि ने अपनी प्रतिभा का परिचय दुनिया को दिया। दिनकर ने अपने संघर्ष, ज्ञान और बहुमुखी प्रतिभा से हिंदी साहित्य जगत में क्रांतिकारी इबादत लिखकर खुद को अमर बना दिये।

वीसी ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर कलम के जादूगर थे। दिनकर की कविताओं ने राष्ट्रीयता के स्वर को बुलंद किया। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस कवि के रूप में चर्चित हैं। उनकी कविताएं हिंदी भाषा की समृद्धि का सशक्त आधार रहेंगी। उनकी कविताएं आज भी जीवंत और प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि दिनकर की प्रमुख रचनाओं में कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी और उर्वशी प्रमुख रूप से शामिल हैं। रामधारी सिंह दिनकर ने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नई ऊंचाई दी बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया। राष्ट्रकवि दिनकर की जयंती के उपलक्ष्य में टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा की ये मेरे लिए भी अति सौभाग्य की बात है कि जिस विश्वविद्यालय के कुलपति पद को दिनकरजी ने सुशोभित किया था उस पद पर मुझे भी आज काम करने का मौका मिला है। यह मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है। कुलपति ने कहा कि दिनकर जी की रचनाओं का प्रचार-प्रसार छात्रों और नौजवानों के बीच होना चाहिए।

इस अवसर पर हम उन्हें नमन और श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। कुलपति प्रो. लाल ने कहा कि टीएमबीयू के पीजी कैम्पस स्थित रामधारी सिंह दिनकर परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा स्थल का सौन्दर्यीकरण कराया जाएगा और परिसर में लाइटिंग की मुक्कमल व्यवस्था करायी जाएगी। साथ ही दिनकरजी की प्रतिमा के ऊपर छतरी भी लगाई जाएगी। इन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए कुलपति ने विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग सेक्शन को आदेश दिया है। वीसी ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर के महान व्यक्तिव और कृतित्व से प्रेरणा लेने की जरूरत है। दिनकर की कविताओं और रचनाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए पीजी हिंदी विभाग के द्वारा व्याख्यानमाला और विविध कार्यक्रमों का आयोजन कराया जाएगा।

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