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वजीफा बंद किए जाने पर शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगा अल्पसंख्यक आयोग

नई दिल्ली, 16 दिसंबर। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने केंद्र सरकार के जरिए अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप और मौलाना आजाद फेलोशिप को बंद किए जाने के फैसले पर शिक्षाविदों और अल्पसंख्यक मामलों के विशेषज्ञों की जल्द ही बैठक आयोजित करने का फैसला किया है।

आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी अल्पसंख्यक छात्र इन छात्रवृतियों के बंद होने से प्रभावित तो नहीं हुआ है या उसकी शिक्षा पर असर तो नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत सभी को मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में फिर स्कॉलरशिप दिए जाने का औचित्य नहीं बनता है। उनका कहना है कि जो लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन कराते हैं और उन्हें शिक्षा दिलाने का प्रयास करते हैं, वह संपन्न लोग हैं। उन्हें स्कॉलरशिप की जरूरत नहीं है। जो गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग हैं, वह सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं। वहां पर उन्हें मुफ्त शिक्षा दी जाती है।

उन्होंने यह भी बताया कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को अन्य स्रोतों से भी स्कॉलरशिप दी जाती है। इसलिए मौलाना आजाद फेलोशिप को बंद करने का फैसला लिया गया है। अगर इन स्कॉलरशिप को बंद किए जाने से कोई भी छात्र प्रभावित होता है तो उसके बारे में आयोग सरकार के समक्ष मामला उठाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो अन्य स्रोतों से ऐसे सभी छात्रों को स्कॉलरशिप दिलाने का प्रयास भी करेगा।

लालपुरा ने बताया कि आज राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने यूएन अल्पसंख्यक दिवस मनाया है जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित धर्म गुरुओं, बुद्धिजीवियों आदि ने भाग लिया है। आने वाले साल में आयोग सभी धर्मों के धर्म गुरुओं, बुद्धिजीवियों के साथ अलग-अलग बैठकों का आयोजन करेगा। पहला आयोजन शिमला में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के साथ आयोजित किया जाएगा। इसमें बौद्ध धर्म की समस्याओं और उनकी परेशानियों आदि पर चर्चा की जाएगी।

उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के धर्म गुरु और बुद्धिजीवियों के साथ पंजाब में और ईसाई समुदाय के धर्मगुरु और बुद्धिजीवियों के साथ नई दिल्ली में बैठक आयोजित की जाएगी। मुस्लिम धर्म गुरु और बुद्धिजीवियों के साथ सहारनपुर देवबंद में एक बैठक आयोजित करने की रूपरेखा बनाई गई है। उन्होंने बताया कि झारखंड में जैन धर्म के एक पवित्र स्थान में शराब और मांस परोसे जाने का मामला आयोग के सामने आया था। आयोग के सदस्यों ने वहां का दौरा किया है और झारखंड सरकार से वहां पर शराब और मांस आदि पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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