उत्तर प्रदेश

भारत भ्रमण पर निकले शंकराचार्य अधोक्षजानंद पहुंचे गोवर्धन, अगले चरण की यात्रा चातुर्मास बाद

-देश की सुख समृद्धि और विश्व शांति के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठों की यात्रा पर हैं जगद्गुरु

-राजस्थान गुजरात, महाराष्ट्र, पूर्वोत्तर भारत और जम्मू-कश्मीर समेत सत्ताइस राज्यों की यात्रा सम्पन्न, जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत

गोवर्धन, 15 जुलाई। राष्ट्र की सुख समृद्धि, विश्व शांति एवं सनातन धर्म के प्रसार हेतु 52 शक्तिपीठ और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन-पूजन के लिए भारत भ्रमण पर निकले गोर्वधन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज यात्रा सम्पन्न कर गोवर्धन स्थित आद्य शंकराचार्य आश्रम पधार चुके हैं। यहां वह चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान करेंगे। इसके बाद अगले चक्र की यात्रा प्रारम्भ होगी।

कई संतों, महात्माओं और विद्वानों के समूह के साथ शंकराचार्य जम्मू-कश्मीर की पांच दिवसीय यात्रा पूरी कर गोवर्धन पहुंचे। जम्मू-कश्मीर में शंकराचार्य राज्य सरकार के विशेष हेलीकाप्टर से श्रीअमरनाथ जाकर पूजा अर्चना किया। तत्पश्चात गांदरबल स्थित खीर भवानी, श्रीनगर में श्रीशंकराचार्य मंदिर, और वैष्णव देवी समेत कई देवालयों और शिवालयों में दर्शन व पूजन किया। राज्य में शंकराचार्य के प्रवास को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के व्यापक प्रबन्ध किये गये थे। जम्मू आगमन पर स्टेट अतिथि गृह में प्रोटोकाल विभाग की संयुक्त सचिव अनसूया जामवाल, श्रीनगर में संयुक्त सचिव रियाज अहमद, अमरनाथ श्राइन बोर्ड के राजेश शर्मा समेत राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों और श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु का जगह-जगह जोरदार स्वागत कर उनका आशीर्वाद लिया।

इसके पूर्व जगद्गुरु शंकराचार्य पूर्वोत्तर भारत की दस दिवसीय यात्रा पर थे। इस दौरान उन्होंने असम, त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम में मां कामाख्या, मां त्रिपुरेश्वरी, जयंती देवी, किरातेश्वर महादेव समेत कई देवालयों और शिवालयों में दर्शन व पूजन किया। इस दौरान इन राज्यों के मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों और श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु का जगह-जगह जोरदार स्वागत कर उनका आशीर्वाद लिया।

शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज ने 20 नवम्बर, 2021 को तीर्थगुरू पुष्कर में दर्शन पूजन के बाद अपनी भारत यात्रा प्रारम्भ की थी। वहां से साधु-संतों और विद्वानों की टोली के साथ जगद्गुरु शंकराचार्य ने राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में पहुंचकर प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव, इसके बाद त्रयंबकेश्वर, भीमाशंकर, घृष्णेश्वर, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, परली बैजनाथ, श्रीशैलम, रामेश्वरम् और प्रसिद्ध शक्ति पीठों समेत विभिन्न देवालयों में दर्शन और पूजन किया।

यात्रा के क्रम में जगद्गुरु देव तीर्थ ने तीर्थराज प्रयाग में पवित्र संगम तट पर मकर संक्रांति के दौरान विशेष याज्ञिक अनुष्ठान किया। इस अवसर पर उन्होंने सैकड़ों साधु-संतों व दंडी संन्यासियों को सम्मानित भी किया था। प्रयागराज प्रवास के दौरान उन्होंने वहां स्थित शक्तिपीठ मां अलोपशंकरी का दर्शन पूजन किया। मान्यता है कि अलोपशंकरी में मां भगवती का दाहिना हाथ प्रतिष्ठित है। इसके बाद उन्होंने विंध्याचल पर्वत में विराजमान शक्तिपीठ मां विंध्यवासिनी और मैहर की देवी का दर्शन किया।

इसी दौरान जगद्गुरु ने वाराणसी जाकर काशी विश्वनाथ एवं शक्तिपीठ विशालाक्षी देवी का दर्शन व पूजन किया। इसके बाद वह बिहार और झारखंड के तीन दिवसीय प्रवास पर रहे, जहां उन्होंने बाबा बैजनाथ धाम समेत कई देवालयों और शिवालयों में दर्शन और पूजन किया। बिहार-झारखंड की यात्रा में दोनों राज्यों के कई जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों और श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु का जगह-जगह जोरदार स्वागत कर उनका आशीर्वाद लिया।

भारत भ्रमण के क्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज ने नर्मदा परिक्रमा भी की। इस दौरान परिक्रमा पथ पर जो समस्याएं दिखीं उनके समाधान के लिए उन्होंने केंद्रीय जहाजरानी, जलमार्ग एवं बंदरगाह मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पत्र भी लिखा। शंकराचार्य ने केंद्रीय मंत्री को नर्मदा परिक्रमा के प्रमुख पड़ाव विमलेश्वर में श्रद्धालुओं की समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि विमलेश्वर, वह स्थान है, जहां से औपचारिक रुप से मां नर्मदा अरब सागर में समा जाती हैं। लगभग 30 किलोमीटर चौड़ा समुद्र में स्थित इस नर्मदा परिक्रमा पथ को तीर्थ यात्री नाव अथवा स्टीमर से पार करते हैं, लेकिन उक्त स्थल पर जेटी का निर्माण न होने से समुद्र की यह यात्रा बड़ी ही दुरुह और खतरनाक है। उन्होंने केंद्रीय जहाजरानी एवं बंदरगाह मंत्री से वहां पर व्यवस्थित जेटी के निर्माण के लिए कहा है। साथ ही वहां संचार तंत्र और सुरक्षा व्यवस्था समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के बारे में भी अपने पत्र में लिखा है।

जगद्गुरु शंकराचार्य की इस यात्रा को लेकर देश भर में लोगों में भारी उत्साह है। विभिन्न राज्यों के जनप्रतिनिधि, सरकार के मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और श्रद्धालु अपने प्रदेशों में उनकी भव्य आगवानी और जोरदार स्वागत कर रहे हैं। पूर्वोत्तर की यात्रा में त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ मंत्री रामप्रसाद पाल, प्रानजीत सिंह राय, असम सरकार के मंत्री पीयूष हजारिका, जयंत मल्लबरुआ, गुवाहाटी के मेयर मृगेन सरानिया, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सपरिवार एवं सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग ने मंत्रियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शंकराचार्य जी का अपने-अपने राज्य में स्वागत किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। सभी राज्यों में शंकराचार्य का स्थानीय परम्परानुसार नागरिक अभिनन्दन हुआ एवं स्मृति चिन्ह भेंट किये गये।

शंकराचार्य जी के एक प्रवक्ता ने बताया कि जगद्गुरु ने इस यात्रा के दौरान सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन-पूजन सकुशल सम्पन्न कर दिया है। 52 शक्तिपीठों में से अधिकतर देवी स्थानों पर भी उनकी यात्रा पहुंच चुकी है। देश के अंदर कुछ शक्तिपीठ अभी शेष रह गये हैं। चातुर्मास व्रत के बाद जगद्गुरु देव तीर्थ मां के उन पीठों की यात्रा सम्पन्न करेंगे। तत्पश्चात विदेशां में स्थित शक्तिपीठों की यात्रा कर दर्शन पूजन करेंगे जो प्राचीन अखंड भारत के अंतर्गत आते है।

प्रवक्ता ने बताया कि चातुर्मास के दौरान स्वामी देव तीर्थ जी महाराज गोवर्धन स्थित आद्य शंकराचार्य आश्रम में ही प्रवास कर यहां विशेष अनुष्ठान सम्पन्न करेंगे। इसलिए इस दौरान उनकी यात्रा स्थगित रहेगी। इस अवधि में शंकराचार्य आश्रम में प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग निर्माण और पूजन, बीजमंत्र सहित महामृत्युंजय मंत्र पुरश्चरण भगवान चंद्रमौलेश्वर का अभिषेक, राजराजेश्वरी त्रिपुरसुंदरी की विशेष पूजा अर्चना एवं अन्य यज्ञादि अनुष्ठान विधि विधान से विद्वान आचार्यों द्वारा सम्पन्न होंगे। इन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए देश भर से साधु-संत एवं श्रद्धालुगण भाग लेंगे ।

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