उत्तराखंड: उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का शुभारंभ
देहरादून, 16 अक्टूबर। उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का शुभारंभ किया गया। रविवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धमेन्द्र प्रधान और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ धन सिंह रावत ने उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में लागू करने पर प्रदेश सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बाल वाटिका से प्रारम्भिक शिक्षा में उत्तराखंड ने ही इसकी सबसे पहले शुरुआत की। देवभूमि उत्तराखंड विद्वानों की भूमि है और नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अभी अनेक विचार आएंगे। अब प्रयास करने होंगे कि आने वाले समय में शत-प्रतिशत बच्चे बाल वाटिकाओं में प्रवेश करें। किसी भी देश व समाज का विकास बेहतर शिक्षा से ही हो सकता है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मानवीय जीवन के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। शिक्षा के साथ ही बच्चों के कौशल विकास, उनके व्यक्तित्व के विकास, भाषाई विकास एवं नैतिक मूल्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है। शिक्षा व्यक्ति की आत्मनिर्भरता से जुड़ी हुई है।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को 03 साल से फार्मल एजुकेशन से जोड़ा जा रहा है। इसके तहत बाल वाटिका शुरू की गई है, बाल वाटिका में 03 साल सीखने के बाद बच्चा पहली कक्षा में प्रवेश करेगा, तब उसकी उम्र 06 साल होगी। बच्चों को नवजात से उनकी 21-22 साल की उम्र तक बेहतर एवं गुणात्मक शिक्षा के लिए उत्तराखंड में 40 लाख बच्चों का टारगेट लेकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकि शिक्षा, मेडिकल, पैरामेडिकल एवं अन्य को मिलाकर 35 लाख की व्यवस्था उत्तराखंड के पास पहले से ही है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की दिशा में उत्तराखंड में जो नीति बन रही है, वह इस दिशा में बहुत बड़ा कदम है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू किए जाने की दिशा में, उच्च शिक्षा विभाग की ओर से प्रभावी एवं चरणबद्ध रूप से सकारात्मक कदम बढ़ाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में तैयार की गई नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के नवीन, आधुनिक, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के नए आयाम खोलने वाली नीति है। ये नए भारत की नई उम्मीदों, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम है। हम अपनी आने वाली पीढ़ी को और भी अधिक प्रतिभाशाली बनाना चाहते हैं तो हमें उसके बचपन और उसकी शिक्षा पर आज से कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान देने का कार्य किया है। हमारे नालंदा और तक्षशिला जैसे अद्वितीय शिक्षा मंदिर पूरी दुनिया में कहीं नहीं थे और यहां से ज्ञान अर्जित करने वालों ने संपूर्ण मानवजाति को एक नई राह दिखाई। हमारे देश में मेधा की कभी कोई कमी नहीं, लेकिन कालांतर में आए विदेशी आक्रांताओं और शासकों ने हमारी शिक्षा व्यवस्था पर ही सबसे अधिक चोट की और इसको तहस-नहस कर दिया। उन्होंने कहा कि 2025 में राज्य स्थापना की रजत जयंती मनाई जायेगी। तब तक हम बेस्ट प्रैक्टिस के तौर पर क्या कर सकते हैं, इस दिशा में सभी विभागों को तेजी से कार्य करने होंगे।