राष्ट्रीय

मांसाहार के विज्ञापन पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज

मुंबई, 26 सितंबर। बांबे हाई कोर्ट की दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने सोमवार को जैन समाज की ओर से दायर की गई मांसाहार के विज्ञापन पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने कहा कि यह अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

जानकारी के अनुसार यह जनहित याचिका श्री ट्रस्टी आत्म कमल लब्धीसुरीश्वरजी जैन ज्ञानमंदिर ट्रस्ट ,सेठ मोतीशा धर्मादाय ट्रस्त और श्री वर्धमान परिवार की ओर से ज्योतींद्र शाह ने हाईकोर्ट में की थी। इस जनहित याचिका में कहा गया था कि अगर किसी को मांसाहार करना है तो वह कर सकता है, इसका विरोध नहीं है। लेकिन मांसाहार के लिए किए जा रहे विज्ञापनों की वजह से लोगों में हिंसक वृत्ति पनपने लगी है। इससे पशु-पक्षियों की ओर देखने का नजरिया बदलता जा रहा है। इसलिए मांसाहार के लिए टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाया जाना चाहिए। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में मांसाहार के विज्ञापनों पर रोक लगाया गया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, कानून, कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है, तो उच्च न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है। आप हाईकोर्ट से विशिष्ट नियम बनाने के लिए कह रहे हैं, एक विशिष्ट चीज़ पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिशा-निर्देश की मांग कर रहे हैं। कोई भी कानून, नियम बनाना, यह सरकार और विधायिका का काम है। यह कहते हुए हाईकोर्ट ने उक्त याचिका खारिज कर दी।

इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका को वापस लेने और नए सिरे से दाखिल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। खंडपीठ ने इसे स्वीकार कर लिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker