राष्ट्रीय

 भारतीय कृषि-चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला

झांसी,14 जनवरी। भारतीय एग्रो– इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर नई दिल्ली एवं रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में कृषि विश्वविद्यालय सभागार भारतीय कृषि–चुनौतियां एवं सम्भावनाएं विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। शुभारंभ सत्र में मर्मज्ञों ने भारतीय कृषि की विशेषताओं,संभावनाओं व चुनौतियों पर विस्तृत रूप से चर्चा की।

कार्यशाला के प्रथम दिवस की अध्यक्षता भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर नई दिल्ली के अध्यक्ष एडवोकेट प्रमोद चौधरी ने की। प्रमोद चौधरी ने कार्यशाला का उद्देश्य एवं भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर का विस्तार से परिचय कराया। भारतीय कृषि में आ रही चुनौतियों एवं सम्भावनाओं पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए। भारतीय एग्रो–इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर के डाॅ. मकरंद करकरे ने अभ्यास वर्ग के प्रथम दिवस भारतीय एग्रो रिसर्च सेंटर किस तरह किसानों के हित में कार्य करेगा इस पर अपना विस्तार से व्याख्यान दिया। भारत में कृषि अनुसंधान और विस्तार के ताने-बाने में समन्वय विषय पर अद्यिष्ठाता कृषि रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय डाॅ. एसके चतुर्वेदी ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एसएस सिंह ने भारत में कृषि सुधार पर व्याख्यान देते हुए कहा कि शोध और प्रसार एक दूसरे के पूरक हैं। प्रसार बगैर शोध पर आज ताल-मेल की आवश्यकता है। भारत देश में 100 से अधिक अनुसंधान केन्द्र कार्य कर रहे हैं, लेकिन उन शोधों को किसानों तक ले जाने की आवश्यकता है।

भारतीय किसान संघ के दिनेश कुलकर्णी ने संगठन मूल संकल्पना, अवधारणा, उद्देश्य एवं भारतीय किसान संघ की कार्य पद्धति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर का यह पहला झांसी में अभ्यास वर्ग है। जिसमें कृषि वैज्ञानिक एवं भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी उपस्थित हुए हैं। भारतीय किसान संघ गैर राजनैतिक संघटन है। इसका कार्य किसानों का कृषक कार्य कैसे सही प्रकार से हो, इस पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जो वैज्ञानिक खेती-किसानी में नई शोध करें, उनको किसान संघ एवं किसानों तक पहुंचाना आवश्यक है। इससे किसान को कम पैसे में अधिक लाभ किसान आत्मनिर्भर बन सके। कुलकर्णी ने रसायनमुक्त खेती, जहर मुक्त खेती, विषय मुक्त अनाज कैसे पैदा करें तथा अच्छे बीजों को कैसे तैयार करें, इस पर भी उन्होंने अपने विचार दिए। भारतीय किसान संघ का नारा भी दिया देश के हम भण्डार भरेंगे, लेकर दाम पूरे इस नारे को उन्होंने विस्तार से समझाया।

भारतीय किसान संघ के राजेश तेलंगाना ने एफपीओ द्वारा किये गये कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत कर कहा कि आज देश में किसानों के साथ दस हजार एफपीओ काम कर रही हैं। इसमें नादेड़ एवं केरल में बहुत अच्छा कार्य हुआ है। डाॅ. श्रवण कुमार दुबे ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सुहास मनोहर ने आगामी योजना, वर्तमान मुद्दे तथा केन्द्रों से अपेक्षाएं पर अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी उपस्थित रहे। संचालन डाॅ. आशुतोष मुरकटे एवं आभार डाॅ. एस. के. दुबे ने व्यक्त किया।

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