डीसीडब्ल्यू ने दुष्कर्म पीड़िताओं की मेडिकल जांच में देरी को लेकर स्वास्थ्य विभाग को जारी किया नोटिस
नई दिल्ली, 14 जुलाई। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के अस्पतालों में बलात्कार पीड़िताओं की चिकित्सा जांच कराने में लंबी देरी को लेकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी किया है।
डीसीडब्ल्यू अपने दुष्कर्म क्राइसिस सेल (आरसीसी) और क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर (सीआईसी) कार्यक्रमों के माध्यम से यौन हिंसा की पीड़ित महिलाओं और बच्चियों की सहायता करता है और उनको मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता प्रदान करता है। इस प्रक्रिया के दौरान डीसीडब्ल्यू की टीम की सदस्य पीड़िताओं की चिकित्सा जांच के दौरान उनको सहायता प्रदान करने के लिए अस्पतालों में मौजूद रहती हैं।
डीसीडब्ल्यू ने इस दौरान यह पाया है कि अस्पतालों में पीड़िताओं का चिकित्सा परिक्षण करने में अनुचित देरी होती है। उदाहरण के लिए, दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल में बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच करने में लगभग 15 घंटे, लोक नायक अस्पताल (एलएनजेपी) में 12 घंटे और सफदरजंग अस्पताल में 8.5 घंटे लगे। राजधानी के अस्पतालों में एक बलात्कार पीड़िता को उसकी मेडिकल जांच के लिए औसतन घंटों इंतजार करना पड़ता है।
पीड़िता के साथ किए गए अपराध के कारण वह पहले से ही मानसिक परेशानी से गुजर रही होती है, चिकित्सा परीक्षण करने में अनुचित देरी के कारण उसका और अधिक उत्पीड़न होता है । डीसीडब्ल्यू ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर इस देरी का कारण पूछा है। डीसीडब्ल्यू ने यह आकलन करने के लिए जानकारी मांगी है कि क्या दुष्कर्म पीड़ितों की चिकित्सा जांच के लिए बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन को विशेष रूप से उपलब्ध कराया गया है या फिर इस काम के लिए अस्पताल के अन्य विभागों से संसाधन लिए जाते हैं।
डीसीडब्ल्यू ने बलात्कार पीड़िताओं चिकित्सा जांच के लिए प्राथमिकता देने के लिए अस्पतालों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया, चिकित्सा जांच के लिए तय मानक समयसीमा और वांछित समय सीमा के भीतर चिकित्सा जांच नहीं होने पर अधिकारियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है। डीसीडब्ल्यू ने अपने नोटिस में कहा है कि यदि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में अभी तक किसी मानक प्रक्रिया का मसौदा तैयार नहीं किया गया है, तो इसे तत्काल तैयार किया जाना चाहिए।
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, “यह बहुत ही दुखद है कि देश की राजधानी में एक पीड़िता को कभी-कभी उसकी चिकित्सा जांच के लिए 15 घंटे इंतजार करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो कि कानून के तहत अनिवार्य और जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस तरह की लंबी देरी पीड़िता के लिए अत्यधिक उत्पीड़न और परेशानी का कारण बनती है और उसके दुख को कई गुना बढ़ा देती है।
हमने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी किया है और यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेंगे कि बलात्कार पीड़िताओं के प्रति इस उदासीन रवैये को तत्काल ठीक किया जाए। इससे दिल्ली पुलिस को मामले की जांच पर ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि उन्हें पीड़ितों के साथ अस्पतालों में लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।”