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संघ का कार्य तथा संगीत दोनों में अभ्यास का महत्व – मोहन भागवत

कानपुर, 09 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को यहां घोष कार्यक्रम में कहा कि संघ का कार्य तथा संगीत दोनों में अभ्यास का महत्व है। संघ में प्रतिदिन शाखा जाना पड़ता है और संगीत में प्रतिदिन अभ्यास करना पड़ता है। स्वर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर जी भी प्रतिदिन संगीत का अभ्यास करती थी।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म इण्टर कॉलेज परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कानपुर प्रांत के स्वर संगम घोष शिविर में 21 जिलों से आए हुए शिक्षार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रविवार को संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम सभी घोष वादक यहां किसी प्रमाण पत्र हेतु नहीं आए हैं। हम यहां एक निश्चित ध्येय के लिए एकत्र हुए हैं। हमारा कार्यक्रम घोष का है किंतु हमें इस माध्यम से भारत माता को परम वैभव तक पहुंचाना है यही हमारा लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि हमारे दिल की धड़कन भी एक ताल है। यदि वह बंद हो गई तो सब समाप्त हो जाएगा। ध्वनि का नाद यदि संगीत मय हो जाये तो वह स्वर कहलाता है। स्वर और ताल के मिलने से संगीत बनता है। संगीत के ताल से आप के कदम जब मिलेंगे तब संचलन ठीक होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे कार्यक्रमों को देखकर समाज प्रभावित होता है क्योंकि हम इसे लग्न तथा अनुशासन से करते हैं। हमारा कार्य प्रति दिन चौबीस घंटे अनवरत चलता रहता है।

उक्त जानकारी देते हुए कानपुर प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम जी ने बताया कि 6 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक चलने स्वर संगम घोष शिविर में लगभग 1500 शिक्षार्थी वाद्ययंत्रों को का वादन करने के साथ ही प्रशिक्षण ले रहें है।

शिविर में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रान्त प्रचारक श्री राम, सह प्रान्त प्रचारक रमेश, प्रान्त प्रचार प्रमुख डाक्टर अनुपम, सह प्रान्त कार्यवाह भवानीभीख, क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख सुरेश, प्रान्त सह व्यवस्था प्रमुख विकास भी उपस्थित है।

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