सरदार पटेल के दर्शन को राजनीतिक प्रणाली में उतारने की जरूरत: पद्मश्री रामबहादुर राय
वर्धा, 31 अक्टूबर। हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक पद्मश्री रामबहादुर राय ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक दर्शन को समझ कर उसका अनुभव करने और राजनीतिक प्रणाली में उतारने की जरूरत है।
सोमवार को पद्मश्री रामबहादुर राय महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्रीय एकता का दर्शन और सरदार पटेल’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में आभासी तौर पर संबोधित कर रहे थे। मुख्य वक्ता राय ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक दर्शन को समझने, उसका अनुभव करने और उसे भारत की राजनीतिक प्रणाली में उतारने की जरूरत है। अगर हम ऐसा कर सकें तो भारत जिस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, उस पर तेजी से बढे़गा और दुनिया भारत की तरफ देखेगी। राय ने कहा कि सरदार पटेल के जीवन के पहलुओं को समझने के लिए उनकी पुत्री मणिबेन पटेल की डायरी को पढ़ना चाहिए। राय ने बताया कि सरदार पटेल शब्दों में अपनी बात कहते थे। वे सर्वत्र समभाव देखने वाले व्यक्ति थे। उनका दर्शन किताबों से नहीं अपितु अनुभव से विकसित हुआ था। उन्होंने अनुभव किया, उसका निचोड़ निकाला और उसे कर्मों में परिवर्तित किया। पद्मश्री राय ने सरदार पटेल के जीवन से जुडे़ प्रसंगों का वर्णन करते हुए पृथक निर्वाचन प्रणाली, रियासतों का विलय और इस संबंध में संविधान सभा में हुई चर्चाओं का भी जिक्र किया। राय ने कहा कि गांधीजी के जाने के बाद उनका दर्शन सरदार पटेल में पाया जा सकता है।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि सरदार पटेल ने रियासतों के विलय को लेकर जो भूमिका निभायी, वह भारत को एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने के लिए एकत्र होने का आह्वान था। सरदार पटेल ने सबके साथ समानता का व्यवहार करते हुए रियासतों को एक करने का चुनौती भरा कार्य किया और उनका यह कार्य उन्हें एकीकरण के दार्शनिक के रूप में स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल एकता के प्रतिपादक राजनेता के रूप में एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनका भारत देश हमेशा कृतज्ञ रहेगा। कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप दीपन, सरदार पटेल के छायाचित्र पर माल्यार्पण तथा कुलगीत से की गयी। गोपाल साहू ने भारत वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया तथा दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने सभी का आभार व्यक्त किया।