अंतर्राष्ट्रीय

यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच सुखोई-30 लड़ाकू बेड़े को अपग्रेड करने की योजना लटकी

– लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने के लिए पुर्जों की आपूर्ति समय से नहीं हो पा रही

– वायु सेना ने कहा, विमानों को अपग्रेड करने के लिए पुर्जों का पहले से है पर्याप्त स्टॉक

नई दिल्ली

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के बीच फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई को अपग्रेड करने के लिए बनाई गई वायु सेना की 35 हजार करोड़ रुपये की योजना लटकती दिखाई दे रही है। इस संघर्ष के कारण लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने के लिए पुर्जों की आपूर्ति समय पर नहीं हो पा रही है। इस वजह से 85 विमानों को स्वदेशी शक्तिशाली रडार और नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक युद्धक क्षमताओं से लैस किये जाने की योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूसी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के सहयोग से अपनी नासिक यूनिट में 2004 से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत 222 सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों का निर्माण किया है। रूस के साथ पहली बार 30 नवंबर,1996 को हुए अनुबंध के बाद से भारत ने मार्च, 2020 तक पिछले अनुबंधों के तहत ऑर्डर किए गए सभी 272 विमानों का उत्पादन पूरा कर लिया लेकिन इस समय वायुसेना के पास 261 सुखोई-30 लड़ाकू विमान हैं। दरअसल 2000 से 2019 के बीच 11 सुखोई-30 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में इन विमानों की भरपाई करने के लिए जुलाई, 2020 में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 10,730 करोड़ की लागत से 12 सुखोई-30 एमकेआई विमानों की खरीद को मंजूरी दी है।

सुखोई-30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह हवा से हवा पर मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं। इसलिए 40 सुखोई विमानों को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से लैस किए जाने के लिए मॉर्डनाइज कर दिया गया है। इसके बाद वायु सेना ने अपने 85 एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को नवीनतम मानकों तक अपग्रेड करने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की योजना बनाई। रूस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से इन 85 विमानों को स्वदेशी शक्तिशाली रडार और नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं से लैस किया जाना है, ताकि इसे ”आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत और ताकतवर बनाया जा सके।

इस बीच रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष छिड़ जाने की वजह से 85 सुखोई विमानों को अपग्रेड करने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। दरअसल, रूसी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को अर्ध और पूर्ण नॉक-डाउन किट देती है जिन्हें नासिक यूनिट में असेम्बल किया जाता है। रूस और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के कारण सुखोई लड़ाकू विमान के लिए पुर्जों की आपूर्ति में भी देरी हुई है। हालांकि यूक्रेन से संघर्ष के बीच रूस भारतीय वायु सेना को अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तीसरी खेप अगले महीने देने जा रहा है लेकिन पुर्जों की आपूर्ति में देरी होने से सुखोई विमानों को अपग्रेड करने की योजना पर विराम लगता दिख रहा है।

दूसरी तरफ, वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भले ही पुर्जों की स्थिति इस समय प्रबंधनीय है और निकट भविष्य में भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है। फिर भी विमानों को अपग्रेड करने में पुर्जों की कमी को आड़े नहीं दिया जायेगा क्योंकि भारत ने उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक और चीन के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद काफी मात्रा में इनका स्टॉक कर लिया था। रूसी रक्षा मंत्रालय से भरोसा दिया गया है कि भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं। आगे भी बेहतर रहेंगे, इसलिए ”मेक इन इंडिया” और ”आत्मनिर्भर भारत” के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।

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