उत्तर प्रदेश

चंबल लिटरेरी फेस्टिवल के तीसरे संस्करण का पोस्टर रिलीज, ऊदी में होगा भव्य आयोजन

औरैया, 03 नवम्बर। चंबल लिटरेरी फेस्टिवल के तीसरे संस्करण का आयोजन चंबल और यमुना के दोआबा में राष्ट्रकवि शिशुपाल सिंह भदौरिया ‘शिशु’ के जन्मस्थान पर आगामी माह तीन व चार दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। दो दिवसीय साहित्य और संस्कृति का समागम कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया महाविद्यालय, कामेत, ऊदी परिसर में होगा। गुरुवार को इस आयोजन का पोस्टर रिलीज कर दिया गया।

चंबल साहित्य उत्सव में इतिहास, साहित्य और कलाओं को समेटे यहां के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों पर हुए लेखन पर विमर्श और उनका मूल्याकंन होगा। इस साहित्य महाकुंभ से चंबल अंचल में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। बगावत के उद्गम स्थल चंबल ने जहां सदियों से अपनी छाप छोड़ी है। वहीं वैश्विक साहित्य और विचार को प्रेरित किया है। चंबल की समृद्ध साहित्यिक विरासतों पर विभिन्न विषयों पर चर्चा सत्र का आयोजन होना लाजिमी है जिसमें लेखन, संगीत, पेंटिंग, फिल्म, वास्तुकला पर व्याख्यानों, सेमिनारों, कार्यशालाओं, चर्चा सत्रों के जरिये चंबल साहित्य को बढ़ावा देने के लिए लेखक, दार्शनिक, विचारक और कलाकार मंथन करेंगे।

सीएलएफ के संस्थापक क्रांतिकारी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि चंबल घाटी के साकारात्मक पहलुओं पर कम और नकारात्मक पहलुओं पर ज्यादा लिखा-पढ़ा गया है जिससे चंबल की छवि को गहरा धक्का लगा है। विश्व धरोहर चंबल घाटी का दाग मिटाने के लिए ‘चंबल लिटरेरी फेस्टिवल’ की नींव वर्ष 2020 में रखी गई।

उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक विस्तृत चंबल के बीहड़ों का संघर्षमय अतीत बरसों से सृजनधर्मियों को आंदोलित करता रहा है। यह अंचल और यहां की नदियां, तट और उनका रजत-मृदुल कैनवस पर उकेरी जाने वाली कल्पनाओं की तरह चित्रमय और भावमय बनाने को सहज ही उकसाती है। यह चंबल की धरती जो हमेशा मानवता के पक्ष में खड़े होने और विद्रोह की प्रेरक बनती आई है।

तीसरे चंबल लिटरेरी फेस्टिवल आयोजन का पोस्टर रिलीज करते हुए आयोजन समिति ने बताया कि सीएलएफ के दो दिवसीय आयोजन को चार सत्रों में बांटा गया है। पहला सत्र चंबल: इतिहास और संस्कृति, दूसरा सत्र कविताओं में चंबल, तीसरा सत्र चंबल: फिल्में और लोक कलाएं, चौथा सत्र चंबल के सरोकारी रचनाकार रखा गया है। इस चर्चा सत्र के दौरान विमर्श, सरोकारी कवि सम्मेलन, कहानी का पाठ, चंबल पुस्तक प्रदर्शनी, नाटक-नौटंकी, लोकगीत आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे।

चंबल लिटरेरी फेस्टिवल के सफल आयोजन के लिए चंबल परिवार जुड़े लोग चंबल अंचल के सातों जनपदों के सरोकारी रचनाकारों से मुलाकातें कर रहे हैं। उनकी चंबल पृष्ठभूमि पर लिखी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाएं पांडुलिपि संग्रहित कर रहे हैं और निजी तौर पर सीएलएफ के तीसरे आयोजन में शामिल होने का आग्रह कर रहे हैं। औरैया, इटावा, जालौन, भिंड, मुरैना और धौलपुर जनपदों से सीएलएफ आने वाली अप्रकाशित सामग्री और पांडुलिपि को ‘चंबल संग्रहालय’ संरक्षित रखने के साथ प्रकाशित भी करेगा।

चंबल साहित्य उत्सव पोस्टर रिलीज के दौरान कस्बाई इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान, कवियत्री और शिक्षिका डॉ. कमला नरवरिया, डॉ. कमल कुमार कुशवाहा, चन्द्रोदय सिंह चौहान, गजेंद्र सिंह एडवोकेट, डॉ अनीता बंसल, प्राचार्य प्रोफेसर मालवीय विमल, विक्रम सिंह कुशवाहा, राजीव यादव, अनीता त्रिपाठी ने इस अवसर पर अपनी बात रखी।

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