बिहार

प्रशासनिक स्तर पर दीप प्रज्वलन एवं खालसा में ध्वजारोहण के साथ शुरू हुआ कल्पवास

बेगूसराय, 09 अक्टूबर। बिहाह में बेगूसराय के सिमरिया गंगा धाम में लगने वाले बिहार के इकलौते राजकीय सिमरिया कल्पवास मेला का शुभारंभ रविवार को हो गया। प्रशासनिक स्तर पर मेला का शुभारंभ डीएम, एसपी, बेगूसराय विधायक, विधान पार्षद एवं सांसद प्रतिनिधि ने दीप प्रज्वलित कर किया। जबकि विभिन्न खालसा में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ध्वजारोहण कर इस पौराणिक कल्पवास मेला का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम रोशन कुशवाहा ने कहा कि दो वर्ष के बाद एक बार फिर से कल्पवास मेला की शुरुआत सुखद संयोग है। सिमरिया में लगने वाले इस कल्पवास मेला का आदिकाल से महत्व रहा है। सिमरिया के इस मोक्ष स्थली का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। सिर्फ बिहार और देश के विभिन्न राज्यों ही नहीं, पड़ोसी देश नेपाल तक से आने वाले श्रद्धालु की भीड़ जताती है कि सिमरिया कितना महत्वपूर्ण स्थान है। प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा, सेवा के लिए पूरी तरह से तत्पर है। 24 घंटे टीम लगातार क्रियाशील रहेगी तथा हम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

एसपी योगेन्द्र कुमार ने कहा कि सिमरिया का यह कल्पवास ऐतिहासिक है। जिला प्रशासन सिर्फ श्रद्धालुओं की सुविधा ही नहीं, सुरक्षा के लिए तत्पर है। यहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी एवं पुलिस पदाधिकारियों को लगाया गया है, पुलिस टीम हमेशा एक्टिव मोड में रहेगी।

विधायक कुंदन कुमार ने कहा कि गंगा के तट पर धर्म, अध्यात्म और खुद की आत्मा से जुड़ने का काल ही कल्पवास है। ब्रह्मा जी के समय से गंगा तट पर कल्पवास की परंपरा चलती आ रही है। कल्पवास करने वालों की सभी मनोवांछित कामना पूर्ण होने के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। हम सब मिलकर इस ऐतिहासिक कल्पवास काल को सुविधाजनक तरीके से संपन्न करेंगे। सिमरिया जल्द ही विकसित होगा, जिस पर काम चल रहा है।

विधान परिषद सदस्य सर्वेश कुमार ने कहा कि सिमरिया गंगा तट सिर्फ धाम नहीं, तपोभूमि है। साधु-संत तो सब दिन कल्पवास करते हैं, लेकिन गृहस्थ जीवन में रहने वालों के लिए भी हमारे धर्म शास्त्रों में अल्प समय के लिए कल्पवास का नियम बनाया है। देश में अलग-अलग जगहों पर, अलग-अलग महीने में कल्पवास होता है, लेकिन सिमरिया के कल्पवास का विशेष महत्व है। संगम पर लगने वाला यह कल्पवास स्थल सिमरिया तीन प्राचीन राज्यों की सीमा रेखा है। मिथिला का यह दक्षिणी दरवाजा, मगध के वैभवशाली साम्राज्य और बगल के जनपद अंग की सीमा रेखा है। राजा जनक ने भी यहां कल्पवास किया था। यहां सिर्फ कल्पवास के समय ही नहीं, सब दिन उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर राजेन्द्र पुल स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव होना चाहिए। खासकर कल्पवास में सभी ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित करने के लिए पहल शुरू की गई है।

सांसद प्रतिनिधि और वरिष्ठ भाजपा नेता अमरेन्द्र कुमार अमर ने कहा कि जीवन जीने की कला सिखाने वाली हमारी संस्कृति गंगा जीवनधारा है और सिमरिया सामाजिक राजधानी है। कल्पवास से संस्कृति की धारा को हम आगे बढ़ा रहे हैं, संस्कृति की यह धारा समाज को जोड़ती है। दिनकर की यह जन्मभूमि, मां जानकी की स्मृति भूमि और विद्यापति की आराध्य भूमि भी है। इसको सजाने का दायित्व हम सब पर है, उम्मीद है कि प्रशासन के प्रयास से यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल का रूप लेगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुंदन कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन मेला प्रभारी एडीएम राजेश कुमार सिंह ने किया।

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