भिवानी : ‘1857 का संग्राम-हरियाणा के वीरों के नाम’ नाटक का मंचन
भिवानी
आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा स्थानीय आदर्श महिला महाविद्यालय के सभागार में ‘1857 का संग्राम-हरियाणा के वीरों के नाम’ विषय पर नाटक का मंचन किया गया।
कार्यक्रम में चंडीगढ़ से आए कलाकारों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के वीरों की भूमिका का प्रभावशाली रूपांतरण किया। कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को बार-बार तालियां बजाने को मजबूर किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे सांसद चौ. धर्मबीर सिंह ने कहा कि भले ही देश आजाद हो गया हो, लेकिन अभी संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। समाज में अनेक प्रकार की बुराइयां व्याप्त हैं, जिनको समाप्त करना जरूरी है। अनेक जगहों पर जमीन से संबंधित रिकॉर्ड अंग्रेजी कानून के अनुरूप हैं, जिनको समाप्त करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आजादी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहनात व आसपास के लोगों ने डटकर लड़ाई लड़ी।
कार्यक्रम में कलाकारों ने बताया कि किस प्रकार से अंग्रेजी हुकूमत ने हमारे ऊपर असहनीय जुल्म किए। न केवल हरियाणा बल्कि पूरा हिंदुस्तान उनके जुल्म की आग में झुलसा। आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। देश की आजादी के लिए शुरू किए 1857 के संग्राम की शुरुआत अंबाला से हुई। इस क्षेत्र के वीर जवानों ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि अंबाला की छावनी नंबर नौ और छावनी नंबर 60 ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले मुखालफत की और लड़ाई शुरू की।