उत्तर प्रदेश

 गेहूं की वैज्ञानिक विधि से बुवाई कर बढ़ाएं उत्पादन: डॉ रामप्रकाश

कानपुर, 23 अक्टूबर। देश की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का समय आ रहा है। किसान भाई फसल की अधिक पैदावार के लिए इस समय बीज से लेकर खेत की तैयारी, बुवाई का समय, बीजों की उन्नत किस्मों का चयन और बुवाई की विधि के अलावा खाद एवं उर्वरक की तैयारी करें। यह बातें रविवार को वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामप्रकाश ने कही।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रामप्रकाश ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के प्रत्येक वर्ष प्रयोग करने से उत्पादन क्षमता घट जाती है। इसके लिए किसान जैविक खादों का समन्वित प्रयोग करें या फिर कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से फसल को लाभ होता है। अधिक आवश्यकता होने पर ही रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि किसान गेहूं की बुवाई के पूर्व अपने खेत की जुताई तीन से चार बार मृदा को काफी महीन तरीके से करें और उस पर फैले खरपतवार व फसल अपशिष्ट का प्रबंध करके नष्ट करें। गेहूं की उन्नत किस्मों का किसान भाई चयन करें। जिससे गेहूं की पैदावार अधिक हो और खेत में छोटी-छोटी क्यारियां बना लें। जिससे सिंचाई करते समय पानी एक स्थान पर एकत्रित न होकर पूरे खेत की फसल को मिले।उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि किसान भाई गेहूं की फसल में पोषक तत्वों का ही प्रयोग करें जिससे किसानों को गेहूं की फसल से अधिक लाभ हो सके।

फसल बुवाई पूर्व अवश्य करें बीज शोधन : डॉ रामनरेश

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जोन 3 कानपुर के वरिष्ठ शोध अध्येयता डॉ रामनरेश ने किसानों को रबी फसलों की बुवाई के लिए एडवाइजरी जारी की है। बताया है कि रबी फसलों की बुवाई के समय कम तापमान तथा पकते समय शुष्क एवं गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। इस समय बुवाई की हुई फसलों में कम सिंचाईयों की आवश्यकता तथा फसलों को बढ़ने हेतु कम नमी की भी आवश्यकता होती है। डॉ राम नरेश ने बताया कि रबी फसलें जैसे गेहूं,चना, मटर, मसूर, राई, सरसों, अलसी, कुसुम, मक्का एवं आलू इत्यादि फसलों की बुवाई पूर्व बीजों का शोधन किसान भाई अवश्य करें। जिससे रोग एवं कीटों का प्रबंधन हो जाता है और फसल गुणवत्ता परक पैदा होती है। किसानों को आर्थिक लाभ होता है।

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