अंतर्राष्ट्रीय

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने विदेशी कर्ज चुकाने से खड़े किए हाथ

श्रीलंका सरकार ने आइएमएफ के 51 अरब डालर के कर्ज के फिलहाल भुगतान करने में जताई समर्थता

कोलंबो

भीषण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे श्रीलंका ने 51 अरब डालर के विदेशी कर्ज चुकाने को लेकर फिलहाल हाथ खड़े कर दिए हैं। वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि सरकार ने एलान किया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से बेलआउट के तहत मिले 51 अरब डालर के कर्ज का वह फिलहाल भुगतान करने में असमर्थ है।

वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि द्विपीय राष्ट्र को कर्ज देने वाली संस्थाएं व विदेशी सरकारें मंगलवार दोपहर से लंबित ब्याज को पूंजी में तब्दील कर सकती हैं अथवा श्रीलंकाई रुपये के रूप में भुगतान वापसी का विकल्प चुन सकती हैं। यह नीति सेंट्रल बैंक आफ श्रीलंका व दूसरे देशों के सेंट्रल बैंक के बीच आदान-प्रदान को छोड़कर सभी अंतरराष्ट्रीय बांड, द्विपक्षीय कर्ज तथा संस्थानों व वाणिज्यिक बैंकों से लिए गए ऋण पर लागू होगी।

श्रीलंका सरकार ने जनवरी में आयात भुगतान के लिए कर्ज अदायगी रोकने की अपील का विरोध किया था। एक विश्लेषक ने कहा कि यह एकतरफा ऋण स्थगन है। इसके लिए कर्जदाता से बात नहीं की गई। सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डब्ल्यूए विजयवर्धना ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने के कारण सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। इस बीच, श्रीलंका ने पाकिस्तान की तरफ से गत वर्ष प्रस्तावित आर्थिक मदद को निर्गत करने में तेजी लाने की अपील की है। इनमें खेल गतिविधियों के लिए 5.2 करोड़ पाकिस्तानी रुपये, रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए एक करोड़ डालर का कर्ज, पांच करोड़ डालर की एक अन्य रक्षा कर्ज सुविधा तथा आपसी सहमति की सामग्री की खरीद के लिए 20 करोड़ डालर का कर्ज शामिल है।

भुगतान का समय व कर्ज की राशि 2.5 अरब डालर से बढ़ाने की श्रीलंका की मांग पर चुप्पी साधने वाले चीन ने कहा है कि वह द्वीपीय राष्ट्र की मदद का हरसंभव प्रयास कर रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से हम एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।

देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच दो असंतुष्ट सांसदों की गोटाबाया सरकार में वापसी ने राजपक्षे परिवार को बड़ी राहत दी है। इनमें पूर्व राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के शांता बंडारा शामिल हैं, जिन्होंने कुछ दिनों पहले सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था।

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