जीवीएम में रोल ऑफ प्रोबायोटिक्स इन गुड हैल्थ विषय पर हुआ एक्सटेंशन लैक्चर का आयोजन
सोनीपत, 8 अक्टूबर। जीवीएम गल्र्ज कालेज में बायोटैक्रॉलोजी विभाग के तत्वावधान में रोल ऑफ प्रोबायोटिक्स इन गुड हैल्थ विषय पर एक्सटेंशन लैक्चर का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं को अच्छे बैक्टिरिया के महत्व से अवगत करवाया गया। संस्था के प्रधान डा. ओपी परूथी व प्राचार्या डा. रेनू भाटिया ने सफल आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि हमें अपने अंदर अच्छे बैक्टिरिया को विकसित करना चाहिए।
जीवीएम के बायोटैक्नॉलोजी विभाग की अध्यक्ष डा. सचिन ने बताया कि एक्सटेंशन लैक्चर में बड़ी संख्या में छात्राओं ने हिस्सा लिया, जिसका शुभारंभ मुख्य वक्ता के रूप में विषय विशेषज्ञ एवं याकुल्ट डनॉन की पदाधिकारी सानिया ने दीप प्रज्वलित करते हुए किया। उन्होंने संबंधित विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत में बदलते परिदृश्य के साथ जीवन शैली में आये परिवर्तन ने बिमारियों को बढ़ावा दिया है। ऐसे में अब लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी हो रहे हैं। इसलिए जागरूक व्यक्ति अच्छे भोजन के विकल्प की तलाश कर रहा है।
मुख्य वक्ता सानिया ने बताया कि प्रोबायोटिक्स वास्तव में अच्छे बैक्टिरिया होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र के साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। अच्छे बैक्टिरिया बिमारियों से लडऩे में मददगार होते हैं। साथ ही यह नुकसानदायक बैक्टिरिया को भी नियंत्रित कर डायजेशन में सहायता करते हैं। प्रोबायोटिक्स को सही मात्रा में लिया जाये तो यह हमें बिमारियों से लडऩे में मदद देेते हुए शरीर में पाये जाने वाले अच्छे बैक्टिरिया को सही प्रकार से काम करने की ताकत भी प्रदान करता है।
इस दौरान प्राचार्या डा. रेनू भाटिया ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए प्रोबायोटिक्स ड्रिंक की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले जापानी डा. मिनोरू शिरोला ने प्रोबायोटिक्स बनाया था। उस समय जापानी लोग एक संक्रमण से लड़ रहे थे। तब डा. शिरोला का मानना था कि रोगों की रोकथाम उपचार से बेहतर है।
इस अवसर पर बायोटैक की विभागाध्यक्ष डा. सचिन ने मुख्य वक्ता का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस आयोजन में विभागीय प्राध्यापिका डा. राखी और वर्षा ने भी विशेष सहयोग प्रदान किया।
-डा. रेनू भाटिया
प्राचार्या
जीवीएम गल्र्ज कालेज